पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/५८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

है? जबकि हाथमें कोई भी काम न हो, किसी पुरुष या स्त्री द्वारा चरखा कातकर कुछ पैसे कमा लेने जितना लाभ तो यह है ही। इसी प्रकार त्यागभावसे किसीका चरखा कातना भी एक लाभ ही है। अगर कोई ऐसा कार्य है जिसमें हर तरह लाभ-हीलाभ है, हानि कुछ नहीं, तो वह चरखा-कताई ही है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २१-८-१९२४

१३. अन्तःकरणकी आड़में

एक भाईने मुझे पत्र लिखा है, जिसका आशय कुछ इस प्रकार है:

क्या आप जानते हैं कि आपके बार-बार अन्तःकरणकी दुहाई देनेका परिणाम क्या हुआ है? मैं देखता हूँ, किशोर और वयस्क लोग अन्तःकरणकी आड़ लेकर किस प्रकार निरी बकवास किया करते हैं। इससे भी बुरी बात तो यह है कि किशोर ढीठ हो गये हैं तथा वयस्क लोगोंका कोई दीन-ईमान नहीं रह गया है; क्या आप इस दुर्वृत्तिको रोक नहीं सकते? यदि आप ऐसा नहीं कर सकते तो कृपया इस शब्दका प्रयोग न कीजिए और उस बकवासको बन्द कराइए, जो इस शब्दकी आड़में की जा रही है। यह एक पवित्र शब्द है, किन्तु इसका बहुत दुरुपयोग किया जा रहा है। कृपया हमें बताइए कि अन्तःकरण किसके होता है? क्या वह सबके होता है? जब बिल्लियाँ चूहेका शिकार करती हैं, तब क्या वे अन्तःकरणकी प्रेरणापर ही वैसा करती हैं?

मैंने पत्र-लेखकका प्रश्न उनके अपने शब्दोंमें नहीं दिया है। मैंने उसका भावार्थ देनेकी कोशिश की है। मैं समझता हूँ, इस कोशिशमें मैंने उनके साथ अन्याय नहीं किया है।

मुझे यह स्वीकार करना होगा कि इस आरोपमें कुछ सार अवश्य है। किन्तु उन्होंने केवल बुरे पहलूको ही पेश किया है। हर अच्छी चीजका दुष्टों द्वारा दुरुपयोग किये जानेका उदाहरण मिलता है। किन्तु हम इस कारण उस अच्छी चीजको छोड़ नहीं देते। हम तो सिर्फ यही कर सकते है कि उसके दुरुपयोगकी रोक-थामके उपाय करें। जब लोग खुद सोचना छोड़ देते हैं और हर मामले में उनके लिए जोकुछ तय कर दिया जाता है, उसीको अपना दीन मानने लगते हैं, तब कभी-कभी व्यक्तियोंके इस अधिकारपर जोर देना जरूरी हो जाता है कि वे लोकमत, या दूसरे शब्दोंमें कानूनके खिलाफ चल सकते हैं। जब व्यक्ति ऐसा आचरण करते हैं तब उनका दावा होता है कि उन्होंने अपने अन्तःकरणके आदेशका पालन किया है। मैं पत्र-लेखककी इस बातसे सर्वथा सहमत हूँ कि किशोरोंको आमतौरपर अपने अन्तःकरणको जाननेका दावा नहीं करना चाहिए। यह एक ऐसा गुण या स्थिति है जो बहुत प्रयास और अभ्याससे प्राप्त होती है। मनमानीको अन्तःकरणकी प्रेरणापर