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१४. मार्गकी कठिनाइयाँ

दक्षिणके एक कार्यकर्त्ताने पंचमोंके बारेमें निम्न प्रकार लिखा है:

मैं अभी-अभी पंचमोंकी एक सभासे लौटा हूँ। सभामें जो-कुछ हुआ, बहुत ठीक और उत्साहवर्धक था। लेकिन पंचमोंके मोहल्लेसे लौटते हुए जब हम बीच गाँवसे गुजरे तो वहाँ जो देखा वह उत्साहवर्धक नहीं था। वहाँ एक बरगदके पेड़के नीचे उस गाँवके अब्राह्मण किसान इकट्ठे थे। दुआ-सलामके लिए जब हम वहाँ रुके तो वे सब खड़े हो गये। फिर उनसे जो बातचीत हुई उससे मेरे सारे सपने टूट गये। इस गाँवमें खादी तैयार होती है। लेकिन बातचीतसे स्पष्ट था कि यह काम अब बन्द होने जा रहा है, क्योंकि अस्पृश्यता-निवारणकी बात उन्हें अच्छी नहीं लगती। मुख्य सड़कतक पहुँचने के लिए हमें कोई बैलगाड़ी भी नहीं मिली। जैसे-तैसे काफी रात गये हम मुख्य सड़कपर खड़ी अपनी मोटर गाडीतक पहुँचे। टायर पंचर हो जानेके कारण हम रुकते-ठहरते आधी रातको घर वापस आये। मन बहुत उदास था और नींद भी नहीं आ रही थी। खैर, यह कोई ऐसी बात नहीं जिससे हम हारकर बैठ जायें। लेकिन इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि दक्षिण भारतमें अस्पृश्यता-निवारणका काम इतना बड़ा है कि हम सबको अपनी पूरी शक्ति और साधन लगाकर भी इसे पूरा करने में वर्षों लग जायेंगे। अभी तो हम इस कामको कांग्रेस कार्यक्रमके एक गौण हिस्से के रूपमें ही कर रहे हैं। मगर इससे बात बननेवाली नहीं है।

बेशक, इससे बात बननेवाली नहीं है। अस्पृश्यता एक भयानक वास्तविकता है। अस्पृश्य लोग यदि शिकायत कर सकते, तो धर्मके नामपर उनके साथ जो दुर्व्यवहार किया जाता है, उसके विरुद्ध वे इतनी शिकायतें करते कि उसके शोरसे हमारी नींद हराम हो जाती।

अभीतक तो हम इस समस्यासे अपना मन बहलाव ही करते रहे हैं। इस कार्यके लिए हमने, जितना चाहिए उस अनुपातमें न तो अपना आराम छोड़ा है, न समय ही लगाया और पैसा तो और भी कम खर्च किया है, जबकि परिस्थितिका तकाजा यह है कि हम हिन्दुओंको इस ध्येयकी सिद्धिके लिए अपना खून पानीके समान बहाना होगा। हम सुधारक लोगोंको तत्काल यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि इस सवालपर हमारे पक्षके लोगोंकी संख्या बहुत ही कम है। मगर मैं सचमुच ऐसा मानता हूँ कि कांग्रेसने इस सूधार-कार्यको अंगीकार करके इसे बहुत बल प्रदान किया है। किन्तु फिर भी अभीतक वह इस समस्याका केवल कोर-किनारा ही छू पाई है। हमने इसे सुलझानेका कोई गम्भीर प्रयत्न नहीं किया है। हम एक प्रकारकी सरगर्मी पैदा करना चाहते थे। किन्तु अस्पृश्यताके कार्यसे इस प्रकारकी सरगर्मी नहीं