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२२. भाषण: मजदूरोंकी सभा, अहमदाबादमें

२३ अगस्त, १९२४

लगभग ५,००० मजदूर मो० क० गांधीको ३,००० रुपयेकी थैली भेंट करनेके लिए २३ अगस्तको अहमदाबाद शहरमें शाहपुर दरवाजेके बाहर नदीके किनारे एकत्र हुए। मजदूर-संघके मन्त्री श्री गुलजारीलाल नन्दाने अहमदाबादके मजदूरोंको समयसमयपर महात्माजी द्वारा दी गई मददका जिक्र किया।

गांधीजीने मजदूरोंसे पूछा कि क्या आप लोग मेरे सामने कोई शिकायत रखना चाहते हैं। संघको आन्तरिक आर्थिक स्थितिसे सम्बन्धित अनेक प्रश्न उठाये गये। गांधीजीने उन्हें आत्म-निर्भर बनने तथा अपनी संस्थाओंको अपने नियन्त्रणमें रखनके लिए कहा। उन्होंने कहा, आप संघके मालिक हैं। आपको ऐसे पदाधिकार चाहिए जो आपकी सच्ची सेवा कर सकें, चाहे वे हिन्दू हों या मुसलमान। उन्होंने उनसे खादी पहननेका भी आग्रह किया।

[अंग्रेजीसे]

बॉम्बे सीक्रेट एब्स्ट्रैक्ट्स

२३. पहली परीक्षा

गुजरातके प्रतिनिधि पहली परीक्षामें अनुत्तीर्ण हो गये हैं। ४०८ प्रतिनिधियोंमें से केवल १६९ ने अपना सूतका हिस्सा भेजा है। २३९ नहीं भेज सके हैं। ४२ प्रतिशत सूतका हिस्सा भेजें और ५८ प्रतिशत न भेजें, इसका अर्थ क्या हुआ? यदि स्वराज्य सूतके तागेमें हो तो प्रतिनिधियोंका इतना बड़ा भाग परीक्षामें कैसे अनुत्तीर्ण हो सकता है? जिस पेढ़ीके हिस्सेदारोंका बड़ा भाग पेढ़ीके नियमोंका अनुसरण नहीं करता उस पेढ़ीका क्या हाल होता है?

समुद्रमें आग लगे तो उसे कौन बुझा सकता है? यदि नमक ही अपना खारापन छोड़ दे तो उसे खारा कौन बना सकता है? यदि प्रतिनिधि अपनी प्रतिज्ञाका पालन न करें तो सामान्य जनतासे क्या उम्मीद की जा सकती है?

गुजरातका प्रस्ताव तो कड़ा है। जिन्होंने सूत नहीं भेजा है उन्हें अपनी जगह खाली करनी पड़ेगी। जिन प्रतिनिधियोंके पास सूत न कातनेका खास कारण हो वे तो अपने द्वारा निश्चित किये गये दण्डसे बच सकते हैं। किन्तु जिनके पास प्रामाणिक कारण न हो, मुझे तो ठीक रास्ता यही जान पड़ता है कि उन्हें त्यागपत्र दे देना चाहिए। त्यागपत्रकी शोभा इसी में है कि उसे देनेमें दुःख अथवा वैमनस्य न हो। जिनकी चरखेमें श्रद्धा नहीं उनका त्यागपत्र देना ही उचित है। जिन्होंने आलस्यवश

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