पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/६९

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पहली परीक्षा ६१ सूरत -- बारडोली अन्य भड़ौंच खादी मंडल २१ १६ कुल ५०३ इन आँकड़ोंसे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। जहाँ अधिक काम हुआ है वहाँसे हमें अधिक सूत मिला है। खेड़ा जिलेके लोगोंको अधिक सूत कातना आता है इससे खेड़ाने ज्यादा सूत भेजा है, सो बात नहीं। बल्कि वहाँपर ज्यादा काम हुआ है इसीलिए वहाँके ज्यादा भाइयों और बहनोंने सूत भेजा है। पंचमहालसे सूतका ढेर मिलना चाहिए था। यह खेदकी बात है कि वहाँके प्रतिनिधियोंके नामोंके आगे कुछ भी नहीं मिलता। भड़ौंचके केवल १२ लोग ही सूत कातें, इसका क्या अर्थ हो सकता है ? काठियावाड़का एक भी नाम फुटकर सूत कातनेवालोंमें नहीं है, इससे क्या पता चलता है? पैसा देना आसान था। आधे घंटेकी मेहनत देना मुसीबतकी बात जान पड़ती है! कुछ लोग कह सकते हैं कि हम तो अपनी इच्छासे जैसे चाहे वैसे मेहनत करनेके लिए स्वतन्त्र हैं। यदि कोई ऐसा कहता है तो वह संगठनकी कीमत नहीं जानता। वर्षा ऋतमें बंदकी कोई कीमत नहीं होती; परन्तु अनेक बंदे मिलकर अकालको सुकालमें बदल सकती है। अनेक होने के बावजूद यदि ये सारी बूंदें स्वेच्छाचारी बन जायें और एक निश्चित नियमका अनुसरण न करें तो ये सब बूंदे निष्फल हो जायेंगी। इसी तरह यदि अनेक स्त्री-पुरुष अपनी इच्छानुसार सेवा करते रहें तो भी वह सेवा व्यर्थ सिद्ध होगी। किन्तु यदि अनेक स्त्री-पुरुष किसी नियमके अधीन होकर कुछ कार्य करें तो वह कार्य चमक उठता है। इसलिए जो सेवा करना चाहते हैं उन्हें एक नियमके अधीन रहकर कार्य करना चाहिए, इसीमें उनकी और देशकी भलाई है। अतएव गुजरातने फुटकर संख्यामें जो सूत भेजा है वह यद्यपि आशाजनक है, तथापि आश्चर्यजनक नहीं। वह आशाजनक इस तरह है कि प्रत्येक मास सूत भेजनेवालोंकी संख्या बढ़ती जायेगी। मुझे उम्मीद है कि जिन ६७२ लोगोंने शुरुआत की है वे लोग तो नियमका पालन करते हुए प्रति मास सूत कातकर भेजते रहेंगे। अभी एक खुशीकी बात लिखनी बाकी है और वह यह कि कुछ लोगोंने बहुत ज्यादा सूत काता है। अब्बास साहब और वल्लभभाई दोनोंमें से प्रत्येकने ५,००० गज सूत भेजा है। एक भाईने ४३,००० गज' सूत काता और भेजा है। दूसरेने २७,००० गज काता है और इसमें से ११,००० गज भेजा है। तीसरेने २४,००० गज सूत काता है और उसमें से १२,००० गज भेजा है। अन्तिम दो व्यक्ति तो बहुत ज्यादा कार्य-व्यस्त रहने के बावजूद इतना कात सके हैं। एक युवकने ४६,००० गज सूत काता है; किन्तु उसने दान केवल ३,००० गजका ही किया है, क्योंकि सारेकेसारे सूतको दानमें देना उनकी शक्तिसे बाहर है। इस तरह अधिक कातनेवाले लोग Gandhi Heritage Portal