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कलकत्ता और बर्माके बीच स्टीमरके डेकपर सफर करनेवालोंपर क्या गुजरती थी। उस समय मैंने डेक-यात्रियोंकी दशाको अमानवीय बताया था। उस समय मैं समझता था कि मद्रास और रंगूनके बीच यात्रा इससे भी कहीं बदतर थी। इसका कारण स्टीमर कम्पनीकी कभी न बुझनेवाली पैसेकी प्यास थी। वह जानते हुए भी जहाजोंपर गन्दगी और जिल्लतको चलने देती थी, बल्कि उसे शह भी देती थी। सरकार, जो कम्पनीको डेक-यात्रियोंके शारीरिक और नैतिक स्वास्थ्यकी घोर अवहेलना करते हुए अपनी स्टीमर-सेवा चलाने देती है अथवा कम्पनी, जो यह अन्याय करती है, अथवा यात्री, जिन्हें विदेशमें आजीविका कमानेकी खातिर शारीरिक और नैतिक दोनों ही दृष्टियोंसे गन्दगीमें लोटना भी कबूल है--इनमें से किसका दोष है, सबसे बड़ा अपराधी कौन है, यह कहना मुश्किल है। श्री एन्ड्रयूज एक निजी पत्रमें कहते हैं कि वे शीघ्र ही डेकपर यात्रा करनेवालोंकी दशामें निश्चित सुधार होनेकी आशा करते हैं। हम आशा करते है कि इस नेक अंग्रेजकी आशा पूर्ण होगी।[१]

ध्यान दीजिए

अ० भा० खादी बोर्ड के मन्त्रीने सभी सम्बन्धित लोगोंके लाभार्थ नीचे लिखी सूचनाएँ भेजी हैं:

(१) अधिकांश सूत भेजनेवाले सदस्योंने अपना रजिस्टर-नम्बर नहीं लिखा है। इसका कारण शायद यह हो कि प्रान्तीय खादी मण्डलोंने अपनेअपने सदस्योंको उनके रजिस्टर-नम्बरकी सूचना न दी हो।

(२) रजिस्टरों में वर्णानुक्रमसे सदस्योंकी सूची नहीं दी गई है; उनमें उनके नाम खोजने में भी दिक्कत पड़ती है। इस तरहकी वर्णानुक्रमणिकाके सम्बन्धमें जो हिदायतें दी गई हैं, उनका पालन बहुत कम प्रान्तोंने किया है। जिन सदस्योंने अपना रजिस्टर-नम्बर नहीं लिखा है, रजिस्टरमें वर्णानुक्रमसे सूची न होनेपर उनके नाम छाँटना प्रायः असम्भव हो जाता है।

(३) हिदायतोंके विपरीत कितने ही सदस्यों और गैर-सदस्योंने अपना सूत सीधा यहाँ, इस दफ्तरको भेज दिया है। उन्हें सूचित कर दिया जाना चाहिए कि आगेसे सदस्य और गैर-सदस्य, दोनों अपना-अपना सूत अपने प्रान्तके ही दफ्तर में भेजा करें।

(४) बहुतेरे लोगोंने सूतको लम्बाई नापकर नहीं भेजी है। प्रान्तीय मन्त्रीको चाहिए कि वे पार्सल रवाना करनेके पहले यह देख लें कि हर शख्सके सूतपर पर्ची लगी है या नहीं और उसपर आवश्यक तफसील दर्ज है या नहीं।

सूत-कताईकी व्यवस्था उसी हालतमें पुर-असर और कामयाब हो सकती है जब कि दी गई हिदायतोंका पालन कामिल तौरपर किया जाये। इसलिए मैं आशा करता

  1. १. सी० एफ० एन्ड्रयजके लेखके सारांशके लिए देखिए "पत्र: सी० एफ० एन्ड्रयजको", २५-८-१९२४ की पाद-टिप्पणी।