पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 28.pdf/१०६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
७८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

ही निहित है। कोई कारण नहीं कि वे रिश्वत दें, कोई कारण नहीं कि वे दबकर रहें। वे रिश्वत देते हैं, दबकर रहते हैं, व्यभिचारके मूक साक्षी बनकर रह जाते हैं अथवा स्वयं व्यभिचार करते हैं, इसका कारण उनका अज्ञान तथा दौर्बल्य ही है। उनका उपचार न चरखा चलाना, है, न बुनाई करना। इनसे थोड़ी मदद अवश्य मिलती है, पर इससे मनुष्य ज्ञानी नहीं हो जाता। पत्र-लेखकने स्वयं भी दुर्बलताका परिचय दिया है। यदि माताका पेट भरने और भाईको पढ़ानेके लिए उसे यह सब अनीति देखनी पड़ती है तो उसे चाहिए कि वह खुद भूखा रहकर माँका पेट भरे और भाईकी पढ़ाई बन्द कर दे। जिस दिन वह ऐसा करेगा, उसी दिनसे उसके भाईकी तथा स्वयं उसकी शिक्षा प्रारम्भ हो गई समझी जायेगी। माता यदि अपंग न हो तो वह भी काम करे। वह या तो काते अथवा बुने। लेकिन पत्र-लेखकने जो कातनेका व्रत लिया है, उसका पालन करने के लिए वह अपने पास हमेशा सिर्फ तकली ही रखे तो फिर उसे किसी भी दिन चरखके अभावमें भखों नहीं मरना पड़ेगा। और ऐसे बहादुर मजदूरोंकी संख्या जैसे-जैसे बढ़ेगी, वैसे-वैसे वे अपने आसपासका वातावरण भी शुद्ध कर सकेंगे।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, १६–८–१९२५
 

३९. मेरे चौकीदार

सौभाग्यशाली है वह व्यक्ति, जिसके ऐसे चौकीदार हों, जिन्होंने बिना किसीके कहे-सुने अपनी इच्छासे उसकी चौकसीकी जिम्मेदारी अपने हाथोंमें ले ली हो। मैं अपने-आपको ऐसा ही भाग्यवान व्यक्ति मानता हूँ। मेरे आलोचकोंकी कोई सीमा नहीं है। इनमें से कुछ वैर-भावसे मेरी आलोचना करते हैं, कुछ अज्ञानवश और कुछ केबल रिवाजमें पड़कर। ऐसे लोगोंसे मैं यथाशक्ति सीखता भी हूँ, लेकिन बहुत थोड़ा। जिन आलोचनाओंमें मुझे केवल कटुता ही कटुता दिखाई देती है, उन्हें मैं नहीं पढ़ता—इस भयसे कि उन्हें पढ़कर कहीं मुझे क्रोध न आ जाये और क्रोधसे में सम्मोहमें न पड़ जाऊँ।

परन्तु मेरे कुछ चौकीदार भिन्न श्रेणीके हैं। वे मुझे पूर्ण पुरुषके रूपमें ही देखनेको प्रयत्नशील रहते हैं। दूसरोंके दोषोंको तो वे माफ कर सकते हैं, पर मेरी छोटी-सी भूलपर भी वे व्याकुल हो जाते हैं। वैसे चौकीदारोंका मैं पुजारी हूँ। उनकी मददसे में पूर्ण बननेकी आशा रखता हूँ। पूर्ण बनना प्रत्येक व्यक्तिका धर्म है। अपना धर्म मैंने पहचान लिया है। मैं पूर्णता प्राप्त करना असम्भव नहीं मानता। सिर्फ अनुकूल परिस्थितियाँ चाहिए। और ऐसी परिस्थितियाँ मेरे चौकीदार तैयार कर रहे हैं। ऐसे ही चौकीदारों में से एक लिखते हैं :[१]

  1. यह पत्र यहाँ नहीं दिया जा रहा है।