पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 28.pdf/११२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
८४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

न हो तो हमें नये सिरेसे विचार करना होगा। हमें दो बातोंको ध्यानमें रखना चाहिए। एक तो यह कि खादी इतनी सस्ती कर दें कि उसे गरीब लोग भी पहन सकें और दूसरे यह कि जिन्हें एक-एक पैसेकी तंगी है, उन्हें चरखा देकर काम दें। एक तीसरी बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि हमें अमुक अवधिके बाद बोनस देना बन्द करना है और उसके बन्द होने के बाद भी काम बन्द न हो जाये। इन सब बातोंपर हम मिलनेपर ही विचार करेंगे।

जो दिन मुकर्रर करना हो, वल्लभभाईसे कहकर मुकर्रर कर लीजिए। इसमें परिषद्की समितिको भी शामिल करना हो तो कर लीजिए।

मताधिकार समितिकी बैठक तो हुई ही नहीं। आखिर भारतीय कांग्रेस कमेटी अपनी बैठकमें जो करना चाहेगी सो करेगी। मेरे कुछ सुझावोंपर जवाहरलाल विचार कर रहा है। कुछ ही दिनोंमें इस सम्बन्धमें मैं एक मसविदा घुमानेवाला हूँ।

मोहनदासके वन्देमातरम्

गुजराती पत्र (जी॰ एन॰ ५७२५) की फोटो-नकलसे।

 

४३. पत्र : वसुमती पण्डितको

सोमवार, [१७ अगस्त, १९२५][१]

चि॰ वसुमती,

इन दिनों इतनी भाग-दौड़ रहती है कि मुझे न तो पत्र लिखनेका ध्यान रहता है और न समय ही मिलता है। लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि तुम्हारा चित्त शान्त है; इसलिए मैं लिख न पाऊँ तो भी चिन्ता नहीं करता। लेकिन मैं लिखू या न लिखू, तुम्हारे पत्रोंकी आशा अवश्य करता हूँ। उनमें दिनचर्याका विवरण भी होना ही चाहिए।

तुम्हारी तबीयत अब और ज्यादा सुधरती जानी चाहिए।
कल उड़ीसाके लिए रवाना हो रहे हैं।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (सी॰ डब्ल्यु॰ ५१३ ) की फोटो-नकलसे।
सौजन्य : वसुमती पण्डित
 
  1. गांधीजी अपनी उड़ीसा यात्राके लिए १८ अगस्तको रवाना हुए थे।