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सहमतिकी वय

ही सूत ले सकता हूँ, और उसे सब जगह ले रहा हूँ। लेकिन, चन्दे तो अधिकृत व्यक्तियोंके पास ही भेजने चाहिए। फिर भी, ऐसी खामियाँ दूर करने के लिए ही एक अखिल भारतीय कताई संघकी स्थापनाका प्रस्ताव किया गया है। अगर कांग्रेस कताईको सदस्यताकी वैकल्पिक योग्यताके रूपमें कायम रखती है और प्रस्तावित संस्थाको चन्देके रूप में दिया सुत प्राप्त करनेका काम सौंपती है तो इसके जरिए उक्त दोष दूर किये जा सकते हैं। जो भी हो, मुझे तनिक भी सन्देह नहीं कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीको आगामी बैठकमें कोई-न-कोई उपाय ढूँढ लिया जायेगा। इस बीच में सम्बन्धित कमेटियोंसे इन शिकायतोंपर ध्यान देनेका अनुरोध करता हूँ।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २७–८–२९२५

६५. सहमतिको वय

विधानसभाके सामने प्रस्तुत एक विधेयकके सम्बन्धमें श्रीमती डोरोयी जिनराजदासने एक परिपत्र जारी किया है। इस विधेयकका उद्देश्य सहमतिकी वयको बढ़ा कर कमसे-कम १४ साल कर देना है। पत्रकी एक प्रति उन्होंने मुझे भी भेजी है, जिसे नीचे दे रहा हूँ :

विधान सभाके अगले अधिवेशन में बाल-संरक्षण अधिनियम (चिल्ड्रन्स प्रोटेक्शन एक्ट) पर विचार होनेवाला है। यह पत्र में इसी उद्देश्य से भेज रही हूँ कि आप लोगोंको उसके पक्षमें करने के लिए अपने प्रभावका उपयोग करें। मैं हृदयसे ऐसा महसूस करती हूँ कि अगर भारतको दुनियाके राष्ट्रोंके बीच एक प्रतिष्ठित और सम्मानित महान् राष्ट्रका दर्जा प्राप्त करना है तो उसके माथेपरसे बाल-मातृत्वका कलंक मिटाना ही होगा।
पिछले अधिवेशनमें भी इस विधेयकपर विचार हुआ था और तव देशमें तथा विधानसभामें इसको काफी समर्थन भी मिला था। मैं समझती हूँ कि अगर इसके पक्ष में अमुक प्रमाणमें लोकमत व्यक्त किया जाये तो अगले अधिवेशन में इसे पास करने में कोई विशेष कठिनाई नहीं होगी। मुझे निश्चित रूपसे ज्ञात है कि इस विधेयकके समर्थनमें देशमें जगह-जगह अनेक सभाएं की जा रही है—विशेषकर महिलाओं द्वारा। और मुझे पूरा विश्वास है कि अधिकांश स्त्रियोंकी इच्छा यही है कि लड़कियोंकी सहवासकी वय बढ़ाकर कमसे-कम १४ साल कर दी जाये।
अगर आप इस विधेयकके समर्थनमें जोरदार ढंगसे अपना मत व्यक्त करें और स्त्रियों तथा पुरुषों—दोनोंको इस विधेयकका समर्थन करने और व्यवहारतः इस सिद्धान्तका आचरण करने के लिए समझायें तो मुझे भरोसा है कि उससे विधेयकके पास होनेमें बड़ी सहायता मिलेगी।