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८२. पत्र : वि॰ ल॰ फड़केको

भाद्रपद बदी १ [३ सितम्बर, १९२५ ][१]

भाई मामा,[२]

तुम्हारा पत्र मिला, तुम निश्चिन्त भावसे वल्लभभाईके पास बैठकर जैसा ठीक लगे, वैसा बजट बनाओ। उसका पास कराया जाना तो जरूरी होगा ही। अगर तुम संघमें[३] बने ही रहना चाहते हो तो फिर तुम्हें निकाल कौन सकता है? मैं ५ तारीखको आश्रममें[४] पहुँचूंगा। ९ तक वहाँ रहूँगा। समिति[५] आश्रमके[६] सम्बन्धमें जो जानकारी चाहे दे देना। दस्तावेज मुझे भेज दिया गया है, ऐसा लिख कर दे सकते हो।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (जी॰ एन॰ ३८१) की फोटो-नकलसे।

 

'८३. भेंट : 'बॉम्बे क्रॉनिकल' के प्रतिनिधिसे

[३ सितम्बर, १९२५]

महात्मा गांधी कल सुबह बम्बई पहुँच गये। विक्टोरिया टर्मिनस स्टेशनपर श्रीमती सरोजिनी नायडू और अन्य अनेक मित्रोंने उनकी अगवानी की। हमेशाकी तरह वे लबर्नम रोड, गामदेवीमें रेवाशंकर जगजीवनके घर ठहरे हैं। 'क्रॉनिकल' के प्रतिनिधिन . . . महात्माजीके अपने निवास स्थानपर पहुँचते ही उनसे भेंट करने की अनुमति मांगी।

हमारे प्रतिनिधिने सबसे पहले उनसे अपनी बंगाल-यात्राके मुख्य अनुभव बतानेका अनुरोध किया। इसपर उन्होंने कहा, सबसे महत्त्वपूर्ण चीज तो खद्दर है, और मैंने देखा कि कुल मिलाकर बंगालमें भी खद्दरके प्रति उतना ही उत्साह है और खद्दरके कार्यक्रमको क्रियान्वित करने के लिए काम करने की उतनी ही इच्छा है जितनी

  1. पत्रमें गांधीजीके ५ को आश्रम पहुँचने और ९ को वहाँ से प्रस्थान करनेका उल्लेख है। इन दोनों तिथियों से ऐसा लगता है कि इनका सम्बन्ध १९२५ से ही है। क्योंकि उसी वर्ष सितम्बर को गांधीजी आश्रम पहुँचे थे और ९ को वहाँ से बिहार के लिए रवाना हो गए थे।
  2. विट्ठल लक्ष्मण फड़के; ये मामा उपनाम से प्रसिद्ध है।
  3. तात्पर्य शायद अस्पृश्यता निवारण संघ से है।
  4. सत्याग्रह आश्रम, साबरमती।
  5. तात्पर्य शायद गुजरात कांग्रेस कमेटी से है।
  6. गुजरात स्थित गोधरा का अन्तज्य आश्रम जिसके प्रबन्धक बि॰ ल॰ फड़के है।

२८–११