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भाषण : अहमदाबादके मजदूर संघकी संभालें

ब्याजको दरोंवाले कोंके स्थानपर आपको कम ब्याजपर कर्ज दे दिये हैं। लेकिन आपको इतना कर्ज लेना पड़े, इससे प्रकट होता है कि आपके रहन-सहनका तरीका सही नहीं है। हो सकता है कि आपकी मजदूरी काफी न हो, परन्तु इसमें कोई शक नहीं कि अगर आप अधिक किफायतसे चलें, शराब और दूसरी बुराइयोंसे बचे रहें, तो आपको कर्जदार नहीं बनना पड़ेगा। मुझे बड़ी खुशी है कि मिल-मजदूर इस समय मिल-मालिकों को कठिनाइयोंको समझ रहे हैं। उन्होंने आगे कहा :

नग मुझे हर्ष है कि आप उनकी कठिनाइयोंको समझते है। जिस समय वे गम्भीर कठिनाइयोंमें पड़े हुए हों, उस समय आप अधिक वेतनकी मांग नहीं कर सकते। एक समय ऐसा भी आ सकता है, जब, मिल बन्द न हो जाये इसलिए वफादार मजदूरोंको बिना मजदूरी लिये काम करनेका प्रस्ताव लेकर आगे आना पड़े। परन्तु मैं जानता हूँ कि आज आप इसके लिए तैयार नहीं है। आपके और मिल-मालिकोंके बीच परस्पर उतना विश्वास नहीं है। आप अनेक तरहके अन्याय सहते हुए काम कर रहे हैं, और जबतक मिल-मालिक सहानुभूति और प्रेमका बर्ताव करके आपके दिल जीत नहीं लेते तबतक आप ऐसा कुछ भी नहीं कर सकेंगे। परन्तु मैं चाहता हूँ कि आप इसी चरम लक्ष्यकी दिशामें काम करें।[१]

महात्मा गांधीने कहा कि संघकी स्थापनासे आप सबको लाभ हुआ है। लेकिन अभीतक आपको बहुत-सी शिकायतें हैं। इसके लिए आप खुद जिम्मेदार हैं। मिल एजेन्टोंके दोष बताना आसान है। यदि आप अपने दोष सुधार लें तो मिल एजन्टों और दूसरे सभी लोगोंको भी प्रभावित कर सकेंगे। आप सच्चा और विनयपूर्ण व्यवहार करें तो आप बहुत-कुछ पा सकेंगे। मैं चाहता हूँ कि आपके वेतनमें जो कटौती को गई है वह रद कर दी जाये और आपको पहलेसे भी ज्यादा वेतन मिलने लगे लेकिन आपको यह मालूम होना चाहिए कि इस समय व्यापारमें मन्दी है और मिलोंको सरकारसे जूझना पड़ रहा है। ऐसे समय आपका कर्तव्य है कि आप ज्यादा वेतनको आशा न करें। आप लोगोंमें परस्पर अविश्वास है। इस अविश्वासको दूर काम अच्छी तरह करें, तो आपको अपनी शिकायतें दूर करानेके लिए कुछ न कहना पड़ेगा, वे दूर हो जायेगी।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १०–९–१९२५
  1. इसके बाद का अंश बाॅम्बे क्रॉनिकल ८–९–१९२५ से लिया गया है।