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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उसकी भूलोंका यह परिणाम भले ही हो कि उसके विचार और निर्णयपर जो लोग भरोसा रखते हैं वह डगमगा जाये, पर एक बार किसी निश्चित निर्णयपर पहुँचनेके बाद फिर उसे अपने विचारकी सत्यतापर सन्देह नहीं करना चाहिए। यहाँ यह बात ध्यानमें रखी जानी चाहिए कि मुझसे जो भी भूलें हुई हैं, वे वस्तुस्थितिका अनुमान लगाने तथा मनुष्यकी क्षमताको परखनेके सम्बन्धमें ही हुई है। सत्य और अहिंसाके वास्तविक स्वरूपको समझने अथवा उनका प्रयोग करने में मुझसे कोई भूल नहीं हुई है। सच तो यह है कि मुझसे हुई इन भूलों और मेरे द्वारा उनकी स्वीकृतिका परिणाम यही हुआ है कि मुझमें इस सम्बन्धमें कि मैं उनके मर्मको समझता है, और अधिक आत्मविश्वास पैदा हो गया है। कारण, मुझे इस बातका निश्चय हो चुका है कि अहमदाबाद, बम्बई और बारडोलीमें सविनय अवज्ञा स्थगित करनेके मेरे निर्णयसे भारतकी स्वाधीनता और संसारकी शान्तिको दिशामें काफी सहायता पहुँची है। मुझे पूरा विश्वास है कि सविनय अवज्ञाको स्थगित कर देनेके परिणामस्वरूप आज हम स्वराज्यकी मंजिलके जितने पास पहुँच चुके हैं, उतने पास सविनय अवज्ञा करके नहीं पहुँच पाते। यह बात मैं आज चारों ओर निराशाके जो बादल छाये हुए हैं, उनके बावजूद कहता हूँ। चूंकि मेरा विश्वास इतना गहरा है, इसीलिए मुझे इस बातका भी पूरा भरोसा है कि स्वराज्यवादियोंके सम्बन्धमें तथा अन्य विषयोंपर भी मेरा रवैया बिलकुल सही है। मेरे इस विश्वासके उद्गमको अगर कहीं ढूँढा जा सकता है तो वह एक ही चीजमें—सत्य और अहिंसाके मर्मके मेरे जीवन्त बोधमें।

अखिल भारतीय स्मारक

श्रीयुत मणिलाल कोठारीने अपना काम शुरू कर दिया है। जिन पारसी सज्जनको उन्होंने २५,००० रुपये देनेपर राजी किया, उन्होंने मुझे बताया कि उनके लिए श्री मणिलाल कोठारीकी बात टालना असम्भव था। जिन भाटिया सज्जनने ५१,००० रुपये दिये हैं, उन्हें भी ऐसा ही लगा होगा। परन्तु वे विश्वास करें कि यद्यपि ये रकमें निःसन्देह बहुत बड़ी है, तथापि जिस कामके लिए ये दी गई है वह काम भी बहुत बड़ा है और उस कामके लिए ये बहुत ज्यादा नहीं हैं। स्वर्गीय देशबन्धुके प्रति हमारा कर्तव्य तबतक पूरा नहीं होगा जबतक हम खद्दर-कार्यके द्वारा विदेशी कपड़ेका पूर्ण बहिष्कार नहीं कर देते और यह काम जन-धनकी पूरी मददके बिना सम्भव नहीं है। इसलिए मैं आशा करता हूँ कि ये लोग दान देने में तत्परता और उदारतासे काम लेंगे। अभीतक 'यंग इंडिया' के कार्यालयमें रु॰ १,०८७-३-३ प्राप्त हुए हैं और (२९ अगस्त, १९२५ तक) रु॰ २०९६-१२-६ पं॰ जवाहरलाल नेहरूको इलाहाबादमें मिले हैं।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १०–९–१९२५