पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 28.pdf/२०४

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९२. अखिल बंगाल देशबन्धु स्मारक कोष

कई मित्र पूछते हैं कि अखिल बंगाल स्मारक कोषके लिए क्या वे अपना चन्दा अभी दे सकते हैं। उत्तर है कि बाजान्ता चन्दा इकट्ठा करनेका कार्य तो पिछले माहकी ३१ तारीखको समाप्त हो गया। किन्तु यदि अभी भी ऐसे कोई लोग है जो उस कोषमें अपना चन्दा देना चाहते है तो उन्हें चाहिए कि वे अपना चन्दा न्यासियोंके जरिए दें। मुझे जो भी रकम अब मिलेगी उसे मैं अखिल भारतीय देशबन्धु स्मारक कोषमें जमा करा दूँगा। अलबत्ता यदि चन्दा देनेवाला ऐसा न करना चाहता हो तो जैसा वह कहेगा वैसा किया जायेगा।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १०–९–१९२५
 

९३. अछूतोंके सम्बन्धमें

उस दिन कलकत्तमें मुझसे आन्ध्र देशके श्री टी॰ एन॰ शर्मा मिलने आये। उन्होंने पंचमोंकी सेवाके कार्यमें लगे लोगोंके मार्गकी कठिनाइयोंके बारेमें कुछ प्रश्न किये। उन्होंने अपने प्रश्नों तथा मेरे द्वारा दिये गये उत्तरोंको लिखकर मेरे पास संशोधनके लिए और यदि मुमकिन हो तो छापने के लिए भेजा है। चूंकि इस प्रश्नोतरीसे कार्यकर्ताओंको सहायता मिलनेकी सम्भावना है, इसलिए मैं उसे यहाँ दे रहा हूँ :

१. अस्पृश्यताको मिटाने के लिए आप प्रचार-कार्यके किन तरीकोंको अपनानेकी राय देते हैं?

अब ज्यादा जबानी-प्रचार करनेकी जरूरत नहीं है। कामको ही प्रचार समझना चाहिए। आपको सामाजिक बहिष्कारकी परवाह न करते हुए, निडर होकर अछूतोंकी हालत सुधारनेका काम करना चाहिए। जब प्रमुख व्यक्ति आयें तब उनके व्याख्यानोंका भी आयोजन किया जा सकता है।

२. हमारे आन्ध्र प्रान्तमें इस विषयपर दो तरहके मत हैं। वहाँ इस आशयका एक प्रस्ताव भी रखा गया था कि प्रचार-कार्यके लिए पंचमेतर लोगोंके बीच पैसा खर्च न किया जाये। कुछ लोगोंका विचार है कि पहले पंचम लोगोंको लिखा-पढ़ा देना चाहिए और अस्पृश्यता-निवारणको माँग उनकी तरफसे पेश होनी चाहिए। लेकिन कुछ लोगोंका मत है कि सवर्ण हिन्दुओंका हृदय-परिवर्तन करने और उनके मनमें यह भाव जगाने के लिए कि "अस्पृश्यता पाप है", उनके बीच पैसा खर्च करके प्रचार किया जाये, और इस कामके लिए पण्डित और कार्यकर्ता नियुक्त किये जायें।