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एक शिक्षाप्रद तालिका

परन्तु अपनी सीमाओंका भान होनेके कारण मुझे लगता है कि मेरा यह प्रयोग एक दायरेतक ही सीमित रहना चाहिए। जो बात अंशपर घटित होगी वही पूर्णपर हो सकती है। हाँ, यह सच है कि मेरी निर्दिष्ट दिशामें भारतकी प्रगति रुक गई-सी दीख पड़ती है। पर मैं समझता हूँ कि ऐसा लगता-भर है। वास्तवमें वह रुकी नहीं है। १९२० में जो छोटा-सा बीज बोया गया था वह नष्ट नहीं हुआ है। मैं समझता है कि वह गहरी जडें पकड रहा है और बहत जल्द वह एक विशाल वक्षके रूपमें प्रकट होगा। पर यदि मैं भ्रममें हूँ तो मेरी अमेरिका-यात्रासे मिल सकनेवाला कृत्रिम और अस्थायी उत्साह उसको पुनर्जीवन नहीं दे सकता। मैं समस्त संसारके सहयोगकी बाट जोह रहा हूँ। मुझे उसका आगमन दिखाई दे रहा है। यह हार्दिक निमन्त्रण भी उसीका एक संकेत है। पर मैं जानता हूँ कि उसके लिए हमें अपनेको पात्र बनाना होगा—तभी वह सहायता एक भारी बाढ़की तरह हमारे पास आयेगी—ऐसी बाढ़ जो कूड़ा-करकट बहा ले जाती है और नव-शक्ति प्रदान करती है। :

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १७–९–१९२५
 

१०७. एक शिक्षाप्रद तालिका

गुजरात प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी द्वारा तैयार की गई निम्नलिखित तालिकाको देखनेसे बहुत-सी बातें सामने आती है :

३१ अगस्तको समाप्त होनेवाले अर्धवर्षमें गुजरातमें कताई-सदस्यताको प्रगतिसे सम्बन्धित आँकड़े :

मूलतः पंजीकृत सदस्य वर्ग 'क' २,२१५
वर्ग 'ख' ३६५
जिन सदस्योंने साल-भरका पूरा कोटा दे दिया है। २६६
जिन सदस्योंने छः महीनका कोटा दे दिया है ३१४
अनियमित तौरपर सूत भेजनेवाले लोग १,२७३
जिन्होंने बिलकुल भेजा ही नहीं ७२७
कुल प्राप्त सूतकी मात्रा गजोंमें १५,८३,०००

टिप्पणी : इस तालिकासे प्रकट होता है कि मूलतः अपने नाम देनेवाले २,५८० सदस्यों में से केवल ५८० को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीके अगले चुनावोंमें मत देनेका अधिकार है।

अनियमित तौरपर सूतके रूपमें चन्दा देनेवालोंने ६,७५० हजार गज सूत भेजा है, अर्थात् जहाँ प्रत्येकको १२,००० गज सूत भेजना चाहिए था, वहाँ औसतन केवल ५,५०० गज सूत भेजा गया है।

ये आँकड़े हमारे सामने कितना ज्यादा काम पड़ा हुआ है, उसका एक चित्र पेश करते हैं। गुजरातमें संगठन-शक्तिका अभाव नहीं है, खादी-कार्यकर्त्ताओंका अभाव