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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


सिर्फ पाँच लोगोंने इसके विरुद्ध वोट दिया और सदस्यताके लिए कताईकी वैकल्पिक शर्तवाला प्रस्ताव भारी बहुमतसे पास हो गया।

महात्मा गांधीने कहा कि अखिल भारतीय खादी बोर्ड के सामने बड़ी-बड़ी कठिनाइयाँ हैं। नया संगठन बनाकर सिर्फ खादी बोर्डका नाम ही बदला जा रहा है। में ऐसा इसलिए कर रहा हूँ कि खादी-प्रचारका कार्य स्थायी रूपसे हो सके। अखिल भारतीय खादी बोर्डका धन लगभग समाप्तप्राय है। खादी बोर्डको यह नया रूप देकर हम उसके सामने आई हुई वर्तमान कठिनाइयोंको दूर कर सकेंगे। यदि आप कांग्रेसके सब लोगोंका खादीमें विश्वास है तो आप स्पष्ट देख सकते हैं कि प्रस्तावित संगठनसे उसे अमूल्य सहायता मिलेगी।

महात्माजीने दुबारा प्रस्तावका स्पष्टीकरण किया और तब पण्डित मालवीयका संशोधन वोटके लिए पेश किया। इस बार मतदानका परिणाम इस प्रकार निकला : खादीके आदतन उपयोगके पक्ष ३६ और विपक्षमें ५१ मत आये। खादीके आदतन उपयोगका प्रस्ताव रद हो गया।

बाबू राजेन्द्रप्रसादने महात्मा गांधीसे यह जानना चाहा कि क्या वे और उनके मित्र इस प्रस्तावके पक्षमें वोट देनेके लिए कर्त्तव्यबद्ध हैं।

महात्मा गांधीने कहा : इसमें कर्त्तव्यका कोई प्रश्न नहीं है। यह समझौता स्वराज्यदलकी ओरसे मोतीलाल नेहरूके और मेरे बीच हुआ और जिसका मन, जिसकी धर्मबुद्धि इसमें गवाही न देती हो वह जैसा ठीक समझे वैसा वोट देने के लिए स्वतन्त्र है। हो सकता है अनजाने मुझसे कांग्रेस और देशको हानि पहुँच रही हो, पर मुझे लगता है कि आगामी चुनावमें स्वराज्यदलका समर्थन और सहायता करना ही कांग्रेसके लिए ठीक है। अपरिवर्तनवादी कांग्रेसको स्वराज्यवादियोंके हाथ सौंप दें ताकि वह पूरी तौरपर एक राजनीतिक संगठन बन सके। मैंने स्वराज्यदलको एक पाई नहीं दी है और न मेरा ऐसा करनेका कोई इरादा ही है, क्योंकि मुझे जो भी धन मिलता है उसे मैं चरखे और खद्दरपर लगाना ज्यादा पसन्द करूँगा। मेरे लिए ये ही सर्वोपरि हैं। यह सब-कुछ होनेपर भी निःसन्देह स्वराज्यदलके लोगोंको मेरा नैतिक समर्थन प्राप्त है। लेकिन किसीका मन न मानता हो तो उसे कदापि इस प्रस्तावके पक्षमें वोट न देना चाहिए। मैं चाहता हूँ हर व्यक्ति पूरी स्वतन्त्रताके साथ वोट दे। उसमें कर्तव्यका कोई प्रश्न नहीं है। कुछ लोग यह सोचते हैं कि इस समय मेरी मति भ्रष्ट हो गई है और मैं अपने आपको स्वराज्यदलके हाथों बेच रहा हूँ। मुझे तो हृदयसे ऐसा लगता है कि हमें अपने को स्वराज्य दलके हवाले कर देना चाहिए। किन्तु यदि आपको ऐसा न लगता हो तो मेरा विरोध करना आपका कर्तव्य है।

वोट लेनेपर ६१ लोगोंने प्रस्तावके पक्षमें और २२ ने विरोधमें वोट दिया। समझौतेमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया।