पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 28.pdf/२५१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२२३
भाषण : खिलाफत सम्मेलनमें


तब पूरे प्रस्तावपर वोट लिया गया जिसके अनुसार भाग 'क'[१]—सर्वसम्मति से; और भाग 'ख'[२] १२ के विरुद्ध ७४ मतोंसे पास हो गया। बैठक अगले दिन तकके लिए स्थगित कर दी गई।

[अंग्रेजीसे]
सर्चलाइट, २५–९–१९२५
 

१२० भाषण : खिलाफत सम्मेलनमें[३]

२२ सितम्बर, १९२५

सम्मेलनको कार्रवाई कुरानको एक आयतके पाठ और मंगल-गानके साथ शुरू की गई। उसके बाद गांधीजीने भाषण दिया। उन्होंने कहा कि जब मुझे सम्मेलनमें भाग लेनेके लिए आमन्त्रित किया गया तभी मैंने मन्त्रीसे कह दिया था कि मुझसे भाषण देने के लिए न कहा जाये। पर मुझे बताया गया कि सम्मेलन में कुछ महिलाओंके भी आनेकी आशा है और मुझे उन्हें खद्दर और चरखेके विषयमें बताना चाहिए। और मुझे तो उनसे खद्दरके बारेमें कुछ कहनेका लोभ है ही, इसलिए मैंने फौरन भाषण देना स्वीकार किया।

लोगोंको मैंने यह कहते हुए सुना है कि १९२१ में गांधी हमेशा हिन्दू-मुस्लिम एकताके बारेमें बोला करता था, पर अब वैसा नहीं करता। लेकिन जैसे ही उससे खद्दर और चरखेपर बोलने का अनुरोध किया जाता है, वह फौरन तैयार हो जाता है। उनकी यह बात सही है, पर मेरा जवाब भी हाजिर है। मैंने अपने भाषणों और समाचारपत्रोंमें लेखों द्वारा आपसे बहुत बार कहा है कि हिन्दू और मुसलमान दोनोंपर अब मेरा कोई प्रभाव नहीं रहा। आज दोनों जातियाँ १९२१ की तरह न तो मेरी बात सुनती हैं न ही मेरे कहे अनुसार चलनको तैयार हैं। यही बात में अली भाइयोंके बारे में भी कह सकता हूँ। उनका प्रभाव भी दोनों जातियोंपर से उठ गया है। ऐसी दशामें भगवानसे प्रार्थना करते रहने के सिवाय में और क्या कर सकता हूँ? जब कोई मेरी [बात ही सुननेको] तैयार नहीं होते तो मैं किसीसे कुछ कहने क्यों जाऊँ? इसीलिए इस विषयपर चुप रहना में ज्यादा ठीक समझता हूँ। दूसरे मामलोंमें भी, जहाँतक देशके लिए स्वराज्य प्राप्त करने की बात है, शिक्षित जनतापर मेरा प्रभाव नहीं रहा। पर मुझे दोनों बातोंमें पूरा विश्वास है। मैं आज भी असहयोगके

 
  1. देखिए परिशिष्ट २।
  2. देखिए परिशिष्ट २।
  3. पटना जिला खिलाफत सम्मेलनकी बैठक अंजुमन इस्लामिया हॉलमें हुई थी। इसमें महात्मा गांधीके अतिरिक्त मौलाना शौकत अली, अब्दुल कलाम आजाद, मुहम्मद अली, जफर अली खाँ, शफी और बाबू राजेन्द्र प्रसादने भाग लिया था।