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कर्ताको नहीं जानता जो अपने सार्वजनिक जीवनमें कभी-न-कभी संशयका पात्र न समझा गया हो। इसलिए दलों या उनके नेताओंपर जब इल्जाम लगाये जाते हैं तब उनपर विश्वास करनेमें बहुत सावधानीसे काम लेना चाहिए।

सच्चा सत्याग्रह

बहुत समयसे मैंने इन स्तम्भोंमें वाइकोम तथा वहाँ 'अनुपगम्यता'—अस्पृश्योंको अमुक सार्वजनिक स्थानोंसे दूर रखने की बुराई—के विरुद्ध चलाये जा रहे संघर्षके सम्बन्धमें जानबूझ कर कुछ नहीं लिखा है। और न मैं अभी उससे प्रत्यक्ष सम्बन्ध रखनेवाली कोई बात लिखना चाहता है। पर यहाँ मैं पाठकोंको यह जरूर बताना चाहता हूँ कि वाइकोमके सत्याग्रही अपना समय किस तरह व्यतीत कर रहे हैं।

वाइकोमसे पिछली १ अगस्तका लिखा एक पत्र मुझे कलकत्तामें मिला था। वह भूलसे अबतक अप्रकाशित ही पड़ा रहा। पर उसका आशय आज भी उतना ही ताजा है जितना कि वह पत्र प्राप्त होनेके समय था। इसलिए उसे यहाँ देता है।

मुझे मिलाकर अब यहाँ सिर्फ १० स्वयंसेवक है। एक तो रोजाना रसोईका काम करता है और एक को छोड़कर शेष सभी स्वयंसेवक सत्याग्रह करते हैं—हर एक तीन-तीन घंटा। सत्याग्रहके लिए जाने और आने का समय मिलाकर ४ घंटे होते हैं। हम नियमपूर्वक ४॥ बजे सुबह उठते हैं और आधा घंटा प्रार्थनामें लगता है। ५ से ६ तक झाड़ू-बुहारू, पानी लाना और बरतन मलना होता है। दो आदमियोंको छोड़कर, (जो कि नहा-धोकर ५-१५ पर सत्याग्रह करने चले जाते हैं) हम शेष लोग ७ बजेतक स्नान करके लौटते हैं और जबतक सत्याग्रहके लिए जानेका समय नहीं हो जाता तबतक सूत कातते या रुई धुनते हैं। हममें से अधिकांश नियमपूर्वक रोज एक-एक हजार गज सूत देते हैं और कुछ तो इससे भी अधिक। रोजाना औसतन १०,००० गजसे अधिक सूत काता जाता है। रविवारको मैं कोई काम करनेपर जोर नहीं देता। उस दिन हर आदमी अपनी मर्जीके मुताबिक काम करता है। हममें से कुछ लोग तो रविवारको भी दो तीन घंटे कताई और धुनाई करते हैं। जो हो; रविवारको काता हुआ सूत वापस नहीं दिया जाता। जो लोग कांग्रेसके सदस्य हैं वे रविवारको अपने चन्देका सूत कातते हैं। कुछ लोग रविवारको तथा और फुर्सतके वक्तमें सूत कातकर अपनी नम्र भेंट आपके द्वारा स्थापित अखिल भारतीय देशबन्धु स्मारक कोषमें देने के लिए रखते हैं। ४ सितम्बरको (दादाभाईकी जन्म-शताब्दीके दिन) हम एक छोटा-सा सूतका बण्डल आपके पास भेजना चाहते हैं। मुझे आशा है कि आप उसे पाकर खुश होंगे। इसे हम अपनी सामान्य दैनिक कताईके अलावा कातेंगे। हम या तो उस दिन दिनभर भिक्षा माँगंगे या दिनभर सूत कातेंगे। और जो-कुछ जमा होगा, आपकी सेवामें भेज देंगे। ठीक क्या करेंगे, यह हमने अभीतक तय नहीं किया है।