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अखिल भारतीय चरखा संघका संविधान

भी रकमकी जरूरत होगी खुद मिल मजदूर ही उसका प्रबन्ध कर देंगे, जैसा कि अहमदाबादमें हुआ है और शायद शीघ्र ही जमशेदपुरमें भी होगा।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २४–९–१९२५
 

१२७. अखिल भारतीय चरखा संघका संविधान[१]

[२४ सितम्बर, १९२५][२]

चूंकि हाथ-कताई और खादीके उद्योगके विकासके लिए विशेषज्ञोंकी एक संस्था स्थापित करनेका समय आ गया है और चूंकि अनुभवसे यह प्रकट हो गया है कि उनका विकास एक ऐसी स्थायी संस्था बनाये बिना सम्भव नहीं है जिसपर राजनीति, राजनीतिक परिवर्तनों या राजनीतिक संस्थाओंका कोई प्रभाव या नियन्त्रण न हो इसलिए अ॰ भा॰ कांग्रेस कमेटीकी स्वीकृतिसे अखिल भारतीय चरखा संघ नामकी संस्था स्थापित की जाती है। यह संस्था कांग्रेस संगठनका अविभाज्य अंग होगी, किन्तु उसका अतित्व स्वतन्त्र होगा और उसके अधिकार भी अलग होंगे।

उक्त संस्थामें सदस्य, उपसदस्य और दाता होंगे—इनकी परिभाषा आगे दी जा रही है—और उसकी एक कार्यकारिणी परिषद् होगी जिसमें निम्न व्यक्ति होंगे और वे ५ सालतक पदारूढ़ रहेंगे :

  1. महात्मा गांधी
  2. मौलाना शौकत अली
  3. श्रीयुत राजेन्द्रप्रसाद
  4. श्रीयुत सतीश चन्द्र दासगुप्त
  5. श्रीयुत मगनलाल गांधी
  6. सेठ जमनालाल बजाज, कोषाध्यक्ष
  7. श्री शुएब कुरैशी)
  8. श्रीयुत शंकरलाल बैंकर मंत्री
  9. पण्डित जवाहरलाल नेहरू)
 

कार्यकारिणी परिषद्के अधिकार

यह परिषद् अखिल भारतीय खादी बोर्ड और समस्त प्रान्तीय खादी बोर्डोंकी निधि और सम्पत्तिको अपने अधिकारमें ले लेगी। उसे इन निधियों तथा अन्य निधियोंकी व्यवस्थाके पूर्ण अधिकार प्राप्त होंगे और वह उनके वर्तमान आर्थिक दायित्वोंको पूरा करेगी।

 
  1. स्पष्टः यह संविधान उस मसविदेके अनुरूप था जो गांधीजी द्वारा प्रचारित किया गया था। और जिसमें अन्य लोग कुछ हद तक संशोधन भी किये थे।
  2. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी इस तारीखको पटनामें हुई बैठकमें संविधानको अंतिम रूप दिया गय था।