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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


परिषद्को ऋण लेने, चन्दा इकट्ठा करने, अचल सम्पत्ति रखने, उचित सुरक्षाकी व्यवस्था करके रुपया लगाने हाय-कताई और खादीकी उन्नतिके लिए रहन करने और रहन रखने, खादी संगठनोंको ऋण, दान या आर्थिक सहायताके रूपमें धन देने, सूत कातना सिखानेवाले स्कूलों और संस्थाओंको स्थापित करने या उनको सहायतादेने, खादीकी बिक्री के लिए खादी-भण्डार खोलने या उसको सहायता देने, कांग्रेसके चन्देके रूपमें लोगोंसे स्वयं काता सूत लेने और प्रमाणपत्र जारी करनेके लिए कांग्रेसकी ओरसे अभिकरणका काम करने और ऐसे सब काम करने का जो इसके उद्देश्योंकी पूर्तिके लिए आवश्यक समझे जा सकें, अधिकार प्राप्त होगा। परिषद्को संघके या परिषद्के कार्योंके संचालनके लिए नियम बनानेका और उनमें संशोधन करनेका अधिकार होगा। उसे समय-समयपर जब आवश्यक समझा जाये संस्थाके वर्तमान संविधानमें परिवर्तन करनेका भी अधिकार प्राप्त होगा।

वर्तमान परिषदें किसी सदस्यको मृत्यु होने, किसीके त्यागपत्र देने या किसी अन्य कारणसे जो स्थान खाली होगा उसकी पूर्ति शेष सदस्य करेंगे।

परिषद्को अपने सदस्योंकी संख्यामें वृद्धि करनेका अधिकार होगा। यह संख्या किसी भी समय १२ से अधिक नहीं होगी और परिषद्को बैठकके लिए आवश्यक न्यूनतम सदस्य संख्या ४ होगी।

सब निर्णय बहमतसे किये जायेंगे।

परिषद् नकद या जिन्सके रूपमें प्राप्त होनेवाले सभी चन्दों, दान और शुल्कका और सारे खर्चका सही हिसाब रखेगी। हिसाबकी बहियाँ सार्वजनिक जाँचके लिए खुली रहेंगी और योग्य लेखा-परीक्षक तीन मास पीछे हिसाबकी जाँच करेंगे।

संघका केन्द्रीय कार्यालय सत्याग्रह आश्रम, साबरमतीमें होगा और जो लोग कांग्रेसके सूत कातनेवाले सदस्य बनना चाहते हैं वे अपने चन्देका सूत नीचे दिये जा रहे फार्म में ब्यौरेके साथ केन्द्रीय कार्यालयमें भेजेंगे :

सेवामें,
मन्त्री,
अखिल भारतीय चरखा संघ,
साबरमती,
महोदय,

मैं इसके साथ-----------गज सूत जिसका वजन--------है और जो मैंने काता है, राष्ट्रीय कांग्रेसके लिए अपने चन्देके रूपमें भेजता हूँ। मैं-----------कांग्रेस कमेटीका सदस्य हूँ या बनना चाहता हूँ। मेरी आयु------है। मेरा धन्धा---------है। मेरा पता---------है।

आपका
(हस्ताक्षर स्पष्ट हों और यदि प्रेषक स्त्री
हो तो वह विवाहित है या अविवाहित यह भी
लिखे।)