पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 28.pdf/२६८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२४०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


जो व्यक्ति आदतन खद्दर पहनता है और ५०० रुपये की एक मुश्त रकम पेशगी देता है वह संघका आजीवन उप-सदस्य बन जायेगा।

सब उप-सदस्योंको लेखा विवरण आय-व्ययके तलपट और परिषद्की कार्रवाईके विवरणकी नकले निःशुल्क प्राप्त करनेका अधिकार होगा।

जो कोई व्यक्ति संघमें सम्मिलित होना चाहता हो उसे नीचे दिये जा रहे फार्म में प्रार्थना करनी होगी।

सेवामें,
मन्त्री ,
अखिल भारतीय चरखा संघ,
साबरमती।
प्रिय महोदय,

मैंने अ॰ भा॰ च॰ संघके नियम पढ़ लिये हैं। मैं------वर्गका सदस्य उप-सदस्य बनना चाहता हूँ और इसके साथ------के लिए अपना चन्दा भेजता हूँ। कृपया मुझे सदस्य बना लें।

आपका,

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १-१०-१९२५
 

१२८. भाषण : पटनाकी सार्वजनिक सभामें[१]

२४ सितम्बर, १९२५

मानपत्रका उत्तर देते हुए सबसे पहले महात्माजीने पटनाकी जनता और जिला बोर्डके सदस्योंको मानपत्रोंके लिए धन्यवाद दिया। इस अवसरपर अपने भाषणमें खान बहादुर नवाब सरफराज हुसैन खाँने हिन्दू-मुस्लिम एकताके बारेमें जो-कुछ कहा था, उसका उल्लेख करते हए उन्होंने कहा कि किसी समय मैंने यह दावा जरूर किया था कि अब हिन्दू और मुसलमानोंके बीच सच्ची एकता हो गई है और यह हमेशा बनी रहेगी। और उस समय में पूरे औचित्यके साथ यह दावा भी कर सकता था कि इसका श्रेय काफी हदतक मुझको है। लेकिन आज मुझे यह कहते हुए दुःख होता है कि ऐसा नहीं है। मैंने यह बात कई बार कही है और आजकी शाम भी कहता हूँ कि हिन्दुओं और मुसलमानों, दोनोंपर अब मेरा कोई प्रभाव नहीं रह गया है। इस सभामें हिन्दू और मुसलमान दोनों शामिल हुए हैं, लेकिन इससे मैं अपनेको यह धोखा नहीं देता कि वे मेरे हिन्दू-मुस्लिम एकताके सिद्धान्तके कायल हैं और इसी कारण सभामें शामिल हुए हैं। ऐसी सभाओं में जाकर जिनमें शामिल होनेवाले

 
  1. यह सभा बैप्लिस्ट मिशनके प्रांगणमें शामके ७–३० बजे हुई थी।