पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 28.pdf/२८७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

१४२. पत्र : वसुमती पण्डितको

आश्विन सुदी ११ [२८ सितम्बर, १९२५][१]

चि॰ वसुमती,

तुम्हारे पत्र मिले हैं। अ॰ भा॰ कां॰ कमेटीकी बैठक[२] सम्बन्धी बहुत कागजात पड़े रह गये है। मैं बिहारमें १५ तारीखतक हूँ। इसके बाद बम्बईसे सीधा कच्छ जाऊँगा। आश्रममें ६ नवम्बरतक पहुँच जाऊँगा। तुम्हारी तबीअत कैसी रही? वहाँ अच्छा लगा? लक्ष्मीका क्या हाल था।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ४६७) से।
सौजन्य : वसुमती पण्डित
 

१४३. पत्र : देवचन्द पारेखको

आश्विन सुदी ११ [२८ सितम्बर, १९२५][३]

भाई देवचन्दभाई,

तुम्हारा पत्र मिला है। हमें दोनों पक्षोंकी चिन्ता करनी चाहिए। हिन्दुस्तानके कुछ ऐसे भागोंमें जहाँ बहुत ज्यादा गरीबी है प्रचुर मात्रामें खादी बनती है। दूसरोंको उसका उपयोग करना ही होगा। करोड़पति अपने उपयोगकी सारी खादी खुद थोड़े ही कातनेवाले हैं?

मोहनदासके वन्देमातरम्

गुजराती पत्र (जी॰ एन॰ ५६९८) की फोटो-नकलसे।

 
  1. डाककी मुहरसे।
  2. २२, २३, २४ सितम्बरको पटनामें हुई बैठक।
  3. डाककी मुहरपर पत्र वितरणकी तारीख २–१०–१९२५ है।