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पत्र : देवचन्द पारेखको

लिए कहूँ यह बात तो मैं सोच ही नहीं सकता, किन्तु मुझे ऐसे मित्र या मित्रोंसे कहने में कोई संकोच नहीं होगा जो तुम्हारी सार्वजनिक सेवाओंके बदलेमें तुम्हारी मदद करना अपना सौभाग्य समझेंगे। तुम्हारी जो स्थिति है और रहेगी यदि उसके कारण तुम्हारी आवश्यकताएँ असाधारण न होती तो मैं तो तुमसे अपनी जरूरतका पैसा सार्वजनिक कोषसे ले लेनेको कहता। मेरा अपना तो दृढ़ मत है कि पारिवारिक खर्च में योगदान करनेकी दृष्टिसे या तो तुम कोई व्यवस्था कर लो, या फिर देशको तुम्हारी सेवाएँ प्राप्त रहें उसके लिए अपने निजी मित्रोंको तुम्हारे लिए पैसेका इन्तजाम करने दो। परन्तु कोई जल्दी नहीं है, मगर तुम अपना मन परेशान किये बिना एक अन्तिम निश्चय कर डालो। यदि तुम कोई व्यवसाय करनेका फैसला करो तो भी मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी। मुझे तो तुम्हारी मानसिक शान्ति चाहिए। मैं जानता हूँ कि किसी व्यवसायके प्रबन्धककी हैसियतसे भी तुम देशकी सेवा ही करोगे। मुझे विश्वास है, तुम जो भी निश्चय करोगे, यदि उससे तुम्हें पूर्ण शान्ति मिलती हो तो पिताजीको कोई आपत्ति नहीं होगी।

तुम्हारा,
बापू

[पुनश्च :]

मैं समझता हूँ कि मुझे दायाँ हाथ तो 'यं॰ इं॰' के लिए ही सुरक्षित रखना चाहिए।

[अंग्रेजीसे]
बंच ऑफ ओल्ड लेटर्स
 

१४९. पत्र : देवचन्द पारेखको

आश्विन सुदी १३, ८१; ३० सितम्बर, १९२५

भाईश्री ५ देवचन्दभाई,

तुम्हारा पत्र मिला। तुमने ब्यौरेवार चर्चा करके ठीक ही किया। तुमने नये खादी मण्डलके मताधिकारके सम्बन्धमें लिखा है, पहले उस विषयपर बात कर लूँ। तुम्हें अबतक समाचारपत्रोंसे मालूम हो गया होगा कि मताधिकारके दो प्रकार हैं। पहले वर्गको हर महीने दो हजार गज सूत कातकर भेजना है और दूसरे वर्गको सिर्फ दो हजार गज वार्षिक। इस दूसरे वर्गमें हम पेशेवर कातनेवालोंको शामिल कर सकते हैं, लेकिन इन्हें हम अभी नहीं लेते। हमें कुछ इस तरहसे काम करने चाहिये जिससे इस भयको तनिक भी अवकाश न रहे कि इस तरहके मताधिकारसे हम कहीं कांग्रेसपर कब्जा न कर लें। इस ढंगसे हम स्वराज्यवादी पक्षको निर्भय और निःशंक कर सकते है। इसका अर्थ यह नहीं कि हमें नये कातनेवालोंकी संख्या सीमित रखनी है। वह तो जितनी बढ़ सके, बढ़ाई जानी चाहिए। मण्डलकी सफलता उसीमें है। दूसरे प्रकारके वर्गके लिए वर्षमें दो हजार गजकी सीमा रखकर हमने नये कातनेवालोंके मार्गको