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भाषण : भागलपुरकी सार्वजनिक सभामें

और उससे महीन खादी बुनवा कर उसका उपयोग करें। मगर ईश्वरके नामपर, अपने गरीब देशभाइयोंकी खातिर, आप सूत कातें और मोटी खादी भी पहनें। इससे आपको कोई नुकसान नहीं पहुँचेगा।

आप कहते हैं कि खादी महँगी बिकती है और आप कम खर्च में काम चलाना चाहते हैं। तब तो मैं आपसे कहूँगा कि यदि आपको भारतसे प्रेम है तो आप आज जो गज लम्बी और ४४से ५० इंच चौडी धोती पहनते हैं, उससे छोटी धोती पहनें। अच्छा हो कि आप सिर्फ ३ गजकी धोती पहनें। यदि कोई कभी इसका कारण पूछे तो आप उससे वही कहिए जो मैं ऐसे लोगोंसे कहा करता हूँ। आप उन्हें बतायें कि आप छोटी धोती हिन्दुस्तानकी खातिर पहनते हैं। हम गरीब लोग है, हम खादीकी लम्बी धोतियाँ नहीं खरीद सकते और इसलिए हम आधी धोतियाँ पहनते है। कमीज आधी नहीं की जा सकती है, लेकिन वह भी छोटी तो आसानीसे की जा सकती है। जो धन आप विदेशी वस्त्रोंको खरीदने में लगाते है, उसका सदुपयोग कुछ वस्त्रहीन बहनोंका तन ढंकने के लिए किया जा सकता है। आज बिहारमें एक लाख लागतकी खादी अन-बिकी पड़ी हई है। अगर वह सब बिक जाय तो वह सब बहारकी गरीब बहनोंको मिल सकता है। जब हमारी बहनें सूत कातती हैं तो उनके सूतसे खादी बुनी जाती है और उस खादीको खरीदकर हम उन्हें कुछ राहत पहुँचाते हैं। यदि आप भारतकी कुछ भी सेवा करना चाहते है, यदि आप सब अपने भाई-बहनोंके कष्ट मिटाना चाहते है तो आपको चाहिए कि आप खादी अवश्य पहनें।

मौलाना शौकत अलीने मुझसे कहा है कि आप जहाँ-कहीं भी मुसलमानोंसे मिलें उन्हें बता दें कि में चरखा संघमें शामिल हो गया हूँ। चरखेमें उनकी असीम आस्था है, क्योंकि वे जानते है कि जबतक हिन्दू और मुसलमान दोनों सिर्फ खादी ही नहीं पहनेंगे तबतक भारत आजाद नहीं हो सकता है। इसलिए उन्होंने मुझसे वादा किया है कि इस सालके भीतर वे अखिल भारतीय चरखा संघके प्रथम श्रेणीके तीन हजार मुसलमान सदस्य बनायेंगे। अ॰ भा॰ चरखा संघके प्रथम श्रेणीके सदस्य वे ही हो सकते हैं जो प्रति मास अपने हाथका कता एक हजार गज सूत अर्थात् सालभरमें कुल मिलाकर बारह हजार गज सूत संघको दें और जो हमेशा खादी ही पहनें। मौलाना साहबको उम्मीद है कि साल खत्म होनेसे पहले ही वे तीन हजार मुसलमान सदस्य बना लेंगे। यह शिकायत की जाती है कि खादीके काममें जहाँ हिन्दू लोग बहुत काफी तादादमें लगे हुए हैं, वहाँ ऐसे मुसलमानोंकी संख्या बहुत कम है। इस कारण मौलाना चाहते हैं कि मैं इस बातकी भी घोषणा कर दूँ कि उन सब मुसलमानोंके लिए, जिनके दिल साफ है और जो उद्यम शील है, इस संघका द्वार खुला हुआ है। लेकिन, जो लोग इसमें आना चाहते हैं, उन्हें संघके नियम मानने पड़ेंगे। हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, पारसी, यहूदी जिस-किसीको चरखमें विश्वास हो, वह अ॰ भा॰ चरखा संघका सदस्य बन सकता है।

हिन्दुओंसे में अस्पृश्यताके बारेमें कुछ कहना चाहता हूँ। अगर आप कुछ सच्ची सेवा करना चाहते है और अपने हिन्दू धर्मको बचाना चाहते है तो आपको अस्पृ