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भाषण : गिरीडीहकी सार्वजनिक सभामें

दर्दका पता लगाकर उन्हें दूर करनेकी कोशिश नहीं करते तबतक मुझे सन्तोष नहीं होगा।

स्थानिक निकायके मानपत्रमें ऐसा संकेत किया गया था कि कानूनको कठोरता और जिला बोर्ड से उसके मतभेदके कारण वह ठीकसे अपना काम नहीं कर पाता।

इसलिए इन परिस्थितियों में निकायके लिए ऐसा कह पाना तो असम्भव है कि उसे अमुक काम करनेका श्रेय प्राप्त है, किन्तु वह इतना वादा अवश्य कर सकता है कि भविष्यमें स्थितिमें सुधार होनेपर उससे जो भी काम हो सकेगा, वह अवश्य करेगा। निकायके सदस्योंसे गांधीजीने कहा कि अगर आपमें कठिनाइयोंपर विजय पानेका संकल्प हो तो कोई भी कठिनाई बड़ी नहीं है। इसपर किसीने दबी आवाजमें कहा कि पैसेकेअभावमें सडकोंको अच्छी हालतमें रखना कठिन है। गांधीजीने छटते ही उत्तर दिया कि यदि आपके पास सड़कोंकी मरम्मतके लिए काफी पैसा नहीं है तो आपको खुद सड़कोंपर काम करके उन्हें अच्छी हालतमें रखना चाहिए।

नगरपालिकाके एक सदस्यने कहा कि उनके पास मेहतर रखनेके लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं। इसपर महात्माजीने कहा कि तब आप लोगोंको मेहतरोंका काम भी खुद ही करना चाहिए और खुद ही पाखाना भी उठाना चाहिए। मैंने डर्बनमें यह काम किया था और मैं जानता हूँ कि इसे करने में कितनी प्रतिष्ठा है।

गोशालाके मानपत्रमें गोरक्षाको चर्चा की गई थी। गांधीजीने कहा कि आप लोगोंसे मैं सिर्फ इतना ही कहूँगा कि अधिकांश गौओंकी हत्याकी जिम्मेदारी स्वयं हिन्दुओंपर ही है। अगर आप लोग चाहें तो आज ही गोहत्या बन्द करवा सकते हैं। इसके लिए आपको मुसलमानों या अंग्रेजोंसे अनुनय-विनय करने या अगड़नकी जरूरत नहीं है। इसके लिए आपको ऐसी स्थिति उत्पन्न करनी होगी जिससे गौओंकी कीमत बढ़ जाये। आपको ऐसी दुग्धशालाओंकी व्यवस्था करनी है, जहाँसे सस्तेसे-सस्ता और शुद्धसे-शुद्ध दूध मिल सके। आपको चमड़ेको कमाने आदिके कामको ऐसा काम नहीं समझना चाहिए जिसमें कोई तौहीनीकी बात हो। आपको मोचियोंको संगठित करके खुद अपने चर्मालय खोलने चाहिए, जहाँ हत्या किये गये पशुओंकी नहीं, बल्कि सिर्फ मरे हुए पशुओंकी खालका ही उपयोग किया जाये। आपकी गोशालाएँ अभी ठीक ढंगसे नहीं चल रही हैं। उन्हें व्यापारिक दृष्टि से चलाना चाहिए। इसके बाद देशबन्धु स्मारक कोषमें दान देने के लिए अपील करते हुए गांधीजीने अपना भाषण समाप्त किया। सभामें ही काफी उगाही हो गई और गिरीडीहको जनताको ओरसे उन्हें दो हजार पचहत्तर रुपयको एक थैली भेंट की गई।

[अंग्रेजीसे]
सर्चलाइट, ९–१०–१९२५
 

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