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१७०. सर्वव्यापी तकली

यह देखकर मुझे सचमुच आश्चर्य होता है कि कताई-मिलोंके हमलेके बावजूद यह सीधा-सादा औजार-तकली—आज भी टिका हुआ है। यह तो मैं देख ही रहा हूँ कि भारतमें इसका व्यापक प्रयोग हो रहा है। ड॰ अन्सारीने एक पोस्टकार्ड भेजा है, जिसपर आरामसे बैठकर तकली चलाती हुई एक स्त्रीकी तस्वीर है। मिट्टीके एक बर्तनमें रखी तकलीको वह दाहिने हाथमें थामे हुए है और बायें हाथसे पूनी पकड़े हुए वह उसमें से सूत निकाल रही है। यह दृश्य बेरूतका है। तकलीमें कहीं और किसी भी समय चलाई जा सकनेकी अद्भुत क्षमता है। अगर कोई आदमी बहुत व्यस्त हो और उसे लगातार आधे घंटेतक बैठकर चरखा चलाना कठिन लगे तो उसके लिए सर्वोत्तम बात यही है कि वह अपने पास बराबर एक तकली रखे और अपने हिस्सेका सूत काता करे।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ८-१०-१९२५
 

१७१. टिप्पणियाँ
मनोनीत अध्यक्ष

तो सरोजिनी देवी[१] अगले वर्षके लिए कांग्रेसकी अध्यक्ष चुन ली गई हैं। यह सम्मान उन्हें पिछले वर्ष ही दिया जानेवाला था, वे इसकी सर्वथा उपयुक्त पात्र है। उनकी असीम कार्य-क्षमता तथा उन्होंने पूर्व आफ्रिका और दक्षिण आफ्रिकामें राष्ट्रके दूतके रूपमें जो महान् सेवाएँ की, उनको देखते हुए वे सभी तरहसे इस सम्मानकी अधिकारिणी हैं और आज, जबकि नारी समाजमें उत्तरोत्तर जागृति आती जा रही है, स्वागत समितिने भारतकी सर्वाधिक गुणसम्पन्न सुपुत्रियोंमें से एकको अध्यक्ष चुनकर भारतकी नारी-जातिको बहुत ही उपयुक्त ढंगसे सम्मानित किया है। उनके अध्यक्ष चुने जानेसे हमारे प्रवासी भाइयोंको बड़ा सन्तोष होगा और इससे उन्हें उस संघर्षका सामना करनेका साहस प्राप्त होगा, जो उनके समक्ष उपस्थित है। राष्ट्रने उन्हें अपना यह उच्चतम पद भेंट किया है; मेरी यही कामना है कि उनके कार्य-कालमें हम स्वतन्त्रताकी मंजिलके और भी समीप पहुँच सकें।

बड़े भाईका संकल्प

मौलाना शौकत अली अखिल भारतीय चरखा संघकी परिषद्में अपने स्थानका औचित्य सिद्ध करनेको कटिबद्ध हैं। वे खादीके प्रति अपना विश्वास अपने कामके

 
  1. सरोजिनी नायडू।