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१८६. भाषण : बलियाकी जिला परिषद् में

१६ अक्तूबर, १९२५

लोगोंसे शान्त रहने का अनुरोध करने और मानपत्र भेंट करनेवाली संस्थाओंको धन्यवाद देनेके बाद श्री गांधीने कहा कि १९२१ में में बलिया आना चाहता था, लेकिन मुझे अफसोस है कि मैं न आ सका। तब मैंने पण्डित मोतीलाल नेहरूसे यहाँ आकर आप लोगोंको तसल्ली देनेका अनुरोध किया था। अब चार साल बाद आप लोगोंके बीच आकर में बहुत खुश हूँ। अगर समयकी कमी न होती तो मैं आप लोगोंके साथ ज्यादा समयतक रहता। एक बात ऐसी है, जिससे मुझे दुःख पहुँचा है, और में उसे छिपाना नहीं चाहता। बलियाके निवासियोंको शक्तिमें मुझे पूरा विश्वास है, लेकिन साथ ही में यह भी मानता है कि कार्यकर्त्ताओंकी संगठन-क्षमतासे ही शक्तिको नियन्त्रणमें रखा जा सकता है। चूंकि में अब कमजोर और अशक्त हो गया हूँ और भीड़के शोरगुलको नहीं सह पाता हूँ, इसलिए मैंने उम्मीद की थी कि इस प्रकारको सभाओंसे स्वभावतः मुझे जो तकलीफ होती है उसका अवसर नहीं आयेगा।

आगे बोलते हुए गांधीजीने कहा कि बलियाके कार्यकर्त्ताओंने जो रचनात्मक कार्य किया है, उसे देखकर मुझे बहत खुशी हुई है और उसके लिए में उनको बधाई देता हूँ। मुझे यह जानकर भी प्रसन्नता हुई है कि यहाँ दोनों कौमें मिल-जुलकर रह रही हैं। ईश्वरसे मेरी यही प्रार्थना है कि आपको मित्रताको यह टेक पूरी हो और आप दूसरोंके लिए इस दिशामें आदर्श स्थापित कर सकें। हिन्दुस्तानको गरीबीका जिक्र करते हुए महात्माजीने पूरे विश्वासके साथ कहा कि गरीबी दूर करने के लिए चरखेसे बढ़कर कोई और कारगर उपाय नहीं है। बहुत-सी स्त्रियोंको अपने जीविकोपार्जनके लिए पत्थर तोड़ने पड़ते हैं और मैं यह भी जानता हूँ कि कुछ ओवरसियर उनके साथ कैसा सलूक करते हैं। मैं अपने निजी अनुभवसे बोल रहा हूँ। आप लोगोंसे यही अनुरोध है कि विदेशी वस्त्रोंका त्याग करके और चरखा चलाकर आप भारतीय नारियोंको सीताके समान पवित्र बनने में सहायता दें। "खादी पहनो और चरखेकी शक्ति बढ़ाओं।" लोगोंको मादक द्रव्यों, जुए और व्यभिचारसे बचनेकी सलाह देते हुए उन्होंने कहा, यादव-कुलके नाशका कारण यही था कि वे धर्मका स्याग करके जुएमें लिप्त रहने लगे थे। आपने मुझे याद दिलाया है कि आपकी भूमि बाल्मीकि, गंगा और सरयूको भूमि है और आप भारतको सेवा करनेको कटिबद्ध हैं। इसमें शक नहीं कि आपने १९२१ में जो कुछ भी सम्भव था, किया। लेकिन उन दिनों आपने जो गलतियाँ की हैं, उनके लिए आपको प्रायश्चित्त करना चाहिए।