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२०३. बिहारके अनुभव -३
स्थानीय निकायके सदस्योंका कर्त्तव्य

गिरीडीहमें जो अभिनन्दन-पत्र[१] दिये गये थे, उनमें उल्लिखित कई बातें बड़ी दिलचस्प थीं और चोईबासाकी तरह यहाँ भी गोशाला समितिकी तरफसे एक अभिनन्दन-पत्र दिया गया था। स्थानीय निकायवाले अभिनन्दन-पत्रमें उसकी देखभालमें आनेवाली सड़कोंकी खराब हालतका उल्लेख किया गया था और उसका सबब धनकी कमी बताया गया था। मैंने बिना हिचक इसका उत्तर दिया कि जब स्थानीय निकायोंका संचालन कांग्रेसवालोंके हाथमें है, तो यह बहाना नहीं चल सकता कि धनकी कमीके कारण सड़क खराब हालतमें है। आखिरकार सड़कें तो राष्ट्रीय सम्पत्ति हैं। कांग्रेसी राष्ट्रके सेवक है और स्थानीय निकायमें जानेसे सड़कोंकी देखभाल करना जब उन्हींके जिम्मे आ पड़ा है, तब चाहे रुपये हों या न हों, उनका तो यह फर्ज है कि वे सडकोंको दुरुस्त रखें। वे हरएक अच्छी बातके लिए सरकारसे भले ही यद्ध करें, लेकिन उन्हें रचनात्मक कार्यके प्रति जरा भी लापरवाही नहीं दिखानी चाहिए। यदि वे अपने इस कार्यभारको अच्छी तरह नहीं सम्भाल सकते, तो उन्हें अपने पदसे इस्तीफा दे देना चाहिए। रुपयोंकी कमीके कारण इस्तीफा दे देनेकी जरूरत नहीं है, क्योंकि स्वेच्छासे प्रयत्न करके भी रुपयोंकी कमी पूरी की जा सकती है। ऐसे निकायोंके सदस्योंको चाहिए कि वे स्वयं कुदाली और फावड़ा लेकर, कमर कसक सड़कोंपर कार्य करने के लिए निकल पड़ें और अपनी मददके लिए स्वयंसेवकोंका एक दल बुला लें। इससे जनता उनको आशीर्वाद देगी, मूक पशुओंका आशीर्वाद भी उन्हें प्राप्त होगा और बड़े अधिकारी भी उनकी इज्जत करेंगे। हर जगह नगरपालिकाका बहुत-सा कार्य तो बेशक उसके सदस्य ही, अधिकारीकी रू से नहीं, बल्कि प्रजाकी स्वेच्छापूर्वक दी गई मददसे अपने आप करते है। स्वर्गीय श्री जोजेफ चेम्बरलेन[२], सिर्फ नगरपालिकाके तनख्वाह पानेवाले नौकरोंकी मददसे नहीं, बल्कि बर्मिघम निवासियों द्वारा स्वेच्छापूर्वक दी गई आर्थिक और दूसरे प्रकारकी मददसे ही बमिंघमको मूर्तियों और दूसरी सजावटोंसे मुक्त एक स्वच्छ नगर बना सके थे। अपने नागरिकोंसे हार्दिक और पूरी-पूरी मदद मिलने के कारण ही तो ग्लासगोकी नगरपालिका तुरतफरत अनुकरणीय ढंगसे प्लेगके आक्रमण दूर कर सकी थी। यह तो मेरे अनुभवकी बात है कि जोहानिसबर्गकी नगरपालिकाने भी प्लेगके जबर्दस्त आक्रमणको तुरत-फुरत नष्ट कर दिया था। उसने प्लेगका समूल नाश करने के लिए बड़ीसे-बड़ी आर्थिक हानिका विचार नहीं किया। उसने बाजारकी इमारतों और रहनेके मकानोंको जला दिया और इसमें उसे अपने कृतसंकल्प नागरिकोंकी पूरी मदद प्राप्त थी। मैंने अपने

 
  1. देखिए "भाषण : गिरीडीहकी सार्वजनिक सभामें", ७–१०–१९२५।
  2. १८३६–१९१४; ब्रिटिश राजनितिज्ञ बर्मिघमके मेयर (१८७३–७६)।