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भाषण : विद्यार्थियोंकी सभा, अहमदाबादमें

इतनी अच्छी है कि वहाँ प्लेग, हैजा आदि रोग होना सम्भव ही नहीं। लेकिन हम अपने हाथों उस हवाको दुर्गन्धित करते हैं। हमारे आरोग्यके साथ अस्पृश्यता निवारणका निकटका सम्बन्ध है, यह बात समझदार पाठक मेरे कहे बिना समझ सकते हैं।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, २२–११–१९२५
 

२५२. भाषण : विद्यार्थियोंकी सभा, अहमदाबादमें

२२ नवम्बर, १९२५

आज दोपहर बाद गांधीजीने अहमदाबादके छात्रों द्वारा आयोजित युवक सप्ताहका उद्घाटन किया। विद्यार्थियोंके सामने बोलते हुए उन्होंने कहा कि जब-कभी मैं आराम करनेके खयालसे अहमदाबाद आया हूँ, लोग मुझे औपचारिक सार्वजनिक समारोहोंमें भाग लेनके कष्टसे मुक्त रखते हैं। लेकिन, इस बार जब मुझसे यह कहा गया कि बीमार हो जानेके कारण श्री जयकर युवक सप्ताहका उद्घाटन नहीं कर सकेंगे, इसलिए उनके बदले यह काम में कर दूँ तो मैं खुशीसे इसके लिए तैयार हो गया। मुझे यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि इस समारोहका आयोजन करनेमें सरकारी कालेज और राष्ट्रीय कालेजके छात्रोंने परस्पर पूरा सहयोग किया है। इन दिनों में सब जगह चरखेकी ही बात करता हूँ, उसीपर मेरा जोर रहता है, लेकिन आपके सामने उसकी चर्चा नहीं करूंगा। इस समय तो मैं आपसे यही कहूँगा कि आप भंगियोंकी तरह अहमदाबादकी सड़कोंको साफ कीजिए।[१]

इधर आप लोगोंमें मुझे निराशाकी भावना दिखाई दे रही है, किन्तु मैं चाहता हूँ, आप आशावादी बनें। मैं आपसे त्याग और संयमकी अपेक्षा रखता हूँ। इनके बिना आपका आन्दोलन सफल नहीं हो पायेगा। अगर आपका लक्ष्य धर्मराज्य हो तो त्यागके बिना उसे प्राप्त करना असम्भव होगा। अगर इसके बिना आपको यह मिल भी गया तो उसे आप कायम नहीं रख सकेंगे। अगर आप सचमच कुछ करना चाहते हों तो आपको आत्मोत्थान और राष्ट्रोत्थानके लिए काम करना चाहिए। आप प्रतिज्ञा कीजिए—शैतानको नहीं, ईश्वरको साक्षी मानकर प्रतिज्ञा कीजिए कि आप अपना हृदय शुद्ध बनायेंगे और अपना जीवन सादा और सहज रखेंगे। अगर आप यह करेंगे तो उसका मतलब होगा कि आपने सचमुच युवक सप्ताह मनाया। ईश्वर आपको इसके लिए बुद्धि और शक्ति प्रदान करें!

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, २३–११–१९२५
हिन्दू, २३–११–१९२५
 
  1. यहाँतकका अंश बाॅम्बे क्रॉनिकलसे लिया गया है और शेष हिन्दूसे