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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कोई राष्ट्र, यूरोपका एक भी राष्ट्र, ऐसा नहीं कर रहा है। वे दूसरे राष्ट्रोंमें शक्ति नहीं भरते। हमें उनसे कोई शक्ति प्राप्त नहीं हो रही है। वस्तु-स्थिति पति ही कुछ ऐसी है कि ऐसा करना उनके लिए असम्भव है; और यही कारण है कि मैंने यह अडिग स्थिति अपना रखी है कि जिस विधान, जिस रचनाका आधार पशु-बल हो, उसमें मैं शरीक नहीं हो सकता।

राष्ट्रपति विलसनने अपने सुन्दर चौदह-सूत्री सिद्धान्तकी चर्चा करनेके बाद अन्तमें क्या कहा था, आप जानते हैं? उन्होंने कहा था, "अगर आपसमें शान्तिसे रहनेका हमारा यह प्रयास विफल होता है, तब तो अन्ततः हमें अपने शस्त्रास्त्रोंका सहारा लेना ही पड़ेगा।" मैं इस बातको बिलकुल उलट कर ऐसा कहना चाहता हूँ : "हमारे शस्त्रास्त्र विफल हो चुके हैं। अब हमें किसी नई चीजकी खोजमें लग जाना चाहिए, और इस सिलसिलेमें हमें प्रेम और सत्यरूपी ईश्वरकी शक्तिको आजमा कर देखना चाहिए।" उसे पा लेने के बाद हमें और किसी चीजकी जरूरत नहीं रह जायेगी। भक्त प्रह्लाद की कथा है। हो सकता है, वह कपोलकल्पित कथा ही हो। लेकिन मेरे लिए वह ऐसी नहीं है। वह मुश्किलसे १२ वर्षका बालक था। उसके पिताने उससे ईश्वरका नाम न लेनेको कहा। प्रह्लादने कहा, "उसके बिना मैं नहीं रह सकता, वह मेरा जीवन है।" इसपर उसके पिताने कहा, "दिखाओ मुझे कि तुम्हारा ईश्वर कहाँ है।" एक गरम लाल लौहस्तम्भकी ओर इशारा करके प्रह्लादसे उसने कहा कि इसे गले लगाओ। और हाँ, उस स्तम्भमें ईश्वर था। श्रद्धा और भक्तिसे भरे प्रह्लादने उसे गले लगा दिया। उसका बाल भी बाँका नहीं हुआ। अगर हम भ्रातृत्वको चरितार्थ करना चाहते हैं तो हममें प्रह्लादका प्रेम, प्रह्लादकी आस्था और प्रह्लादका सत्य होना चाहिए।

[अंग्रेजीसे]
अमृतबाजार पत्रिका, १५–८–१९२५

११. टिप्पणियाँ
केरल उदासीन नहीं

केरल प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीके नये मन्त्री यह सूचित करते हुए कि इस समय केरलमें प्रथम दर्जे के १२२ और दूसरे दर्जे के ५२ कांग्रेस सदस्य हैं, कहते हैं : "केरल कांग्रेसके आह्वानके प्रति उदासीन नहीं है।" यह सूचना प्रकाशित करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। मुझे भरोसा है कि इस तरह जो कार्य शुरू हुआ है, वह निधि रूपसे जारी रहेगा।

एक होनहार युवकका दुःखद अन्त

कुछ समय पहले एक गम्भीर-सा अंग्रेज नौजवान शुएब कुरैशीका परिचय-पत्र लेकर मेरे पास आया। उसका नाम हैरिस था। उसने बिना किसी औपचारिक भूमिकाके तुरन्त कहा कि मैं एक भारतीय साथीके साथ एक विशिष्ट दार्शनिक समस्याकी खोजके उद्देश्यसे कुछ समयके लिए भारत आया हूँ। उसने तेजीसे मेरे साथ चर्चा शुरू