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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

होगा और यह भी कि जाँच करनेवाली संस्था द्वारा जाँचे गये हिसाब-किताब, माल व बीजक (वाउचरों) में कोई गलती या भूल पानेपर, जिन व्यक्तियोंकी सदस्यतासे सम्बन्धित हिसाब-किताबकी जाँच हुई होगी, अखिल भारतीय चरखा संघ द्वारा जारी किये गये उनके प्रमाणपत्र रद घोषित कर दिये जायेंगे, लेकिन अखिल भारतीय चरखा संघको या इस तरह सदस्यतासे निर्योग्य किये गये व्यक्तिको कार्य समितिसे अपील करनेका अधिकार होगा। कांग्रेसकी सदस्यताके लिए कातनेकी इच्छा रखनेवाले हर स्त्री अथवा पुरुषको उचित जमानतपर कातनेके लिए रुई दी जाये।

(३) सदस्यताके सूतकी गिनती पहली जनवरीसे ३१ दिसम्बरतक की मानी जायेगी और सालके मध्यमें शरीक होनेवाले सदस्योंके चन्देमें कोई कमी नहीं की जायगी।

(४) कोई भी व्यक्ति जिसने उप-धारा (१) की शर्तें पूरी नहीं की है, या जो राजनैतिक और कांग्रेसी आयोजनोंमें या कांग्रेसका काम करते समय हाथका कता बुना खद्दर नहीं पहनता है, वह किसी भी समिति या उप-समिति या किसी कांग्रेसी संस्थाके प्रतिनिधियोंके चुनावमें वोट देनेका अथवा प्रतिनिधि चुने जानेका और कांग्रेसकी किसी बैठकमें या किसी कांग्रेसी संस्था या उसकी किसी समिति या उप-समितिमें हिस्सा लेनेका अधिकारी नहीं होगा। कांग्रेस कांग्रेसियोंसे यह अपेक्षा रखती है कि वे अन्य सभी अवसरोंपर भी खद्दर पहनेंगे और वे किसी भी हालतमें विदेशो वस्त्र नहीं पहनेंगे और न प्रयोगमें लायेंगे।

(५) सालके अन्तमें विद्यमान सभी सदस्य ३१ जनवरीतक सदस्य बने रह सकेंगे, भले ही उन्होंने चाहे नये सालका अपना चन्दा अदा न किया हो।

व्यावृत्ति खण्ड : उप-धारा (१) का असर उन लोगोंपर नहीं होगा जो रद किये गये अनुच्छेदके अधीन पहले ही से सदस्य पंजीयित हो चुके हों बशर्तें कि उनकी सदस्यता अन्यथा नियमानुकूल हो और यह भी कि जो लोग सितम्बर १९२५ तक सूतका चन्दा, चाहे खुदका कता सूत हो या किसीके भी हाथका कता, दे चुके हों, वे चालू वर्षभर सदस्य रहेंगे, भले ही फिर वे और सूत न दें।

ख. जबकि कांग्रेसने बेलगांवके अपने ३९वें अधिवेशनमें एक तरफ महात्मा गांधी और दूसरी तरफ स्वराज्य दलकी तरफसे देशबन्धु चित्तरंजन दास और पण्डि मोतीलाल नेहरूके बीच हुए एक समझौतेको स्वीकृति प्रदान की थी जिसके अनुसार कांग्रेसकी गतिविधि उक्त समझौतेमें उल्लिखित रचनात्मक कार्यक्रमतक सीमित कर दी गई थी और यह व्यवस्था रखी गई थी कि “केन्द्रीय तथा प्रान्तीय विधान सभाओंसे सम्बन्धित कार्य कांग्रेसकी तरफसे स्वराज्य दलको और वह भी कांग्रेस संगठनके अभिन्न अंगकी हैसियतसे चलाना चाहिए और ऐसे कार्योके लिए स्वराज्य दलको अपने नियम बनाने चाहिए और अपने कोषकी व्यवस्था करनी चाहिए।" और :

जबकि बादकी घटनाओंने दिखा दिया है कि देशके सामने जो बदली हुई परिस्थितियाँ हैं, उनमें यह प्रतिबन्ध जारी नहीं रहना चाहिए और अबसे कांग्रेसको ही प्रमुख राजनीतिक संस्था होना चाहिए।