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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

३. बंगालमें हिन्दू-समाजको मुख्यतः दो वर्गोंमें बाँटा जा सकता है :—

(१) जल-आचरणीय (२) अनाचरणीय।

वर्ग (१) के अन्तर्गत निम्नलिखित आते है :—

ब्राह्मण
वैद्य
कायस्थ
नवशक (अर्थात् ९ या १० जातियाँ)

वर्ग (२) के अन्तर्गत आते हैं :

वैश्यशाह
सुवर्णवणिक (सुनार)
सूत्रधार (बढ़ई)
जोगी (बुनकर)
शूँडी (शराब विक्रेता)
मछुए
भुई माली (भंगी)
घोप (धोबी)
मुची या रेशो (चमड़े का काम करनेवाले व ढोल आदि मढ़नेवाले)
कापालिक
नामशूद्र तथा अन्य

इनमें कुछको जनगणना अधिकारियोंने दलित वर्गों में वर्गीकृत किया है।

प्रथम समूहके प्रथम तीन वर्गके लोगोंका दावा है कि वे हिन्दू-समाजके शेष वर्गोंसे श्रेष्ठ हैं और न केवल वे उनके प्रति (विशेषतः वर्ग २ के लोगोंके प्रति) घृणाकी गहरी भावना रखते हैं, वरन् उनका विभिन्न प्रकारसे उत्पीड़न भी करते हैं, जैसे कि (१) सार्वजनिक मन्दिरोंमें पूजा या प्रवेशको स्वतन्त्रता नहीं दी जाती (२) द्वितीय वर्गके विद्यार्थियोंके लिए मैस और छात्रावास सम्बन्धी कठिनाइयाँ (३) होटलों और मिष्टान्न भण्डारोंमें उनके प्रवेशपर आक्रोश।

बंगालमें जो लोग अस्पृश्यता-निवारणके आन्दोलनका नेतृत्व कर रहे हैं, वे हमारी रायमें सही तरीके नहीं अपना रहे हैं और इस दिशामें सन्तोषजनक प्रगति नहीं कर सके हैं।

१९२१ को जनगणनाके अनुसार बंगालको कुल लगभग २,०९,४०,००० आबादीमें से ब्राह्मणोंकी संख्या १३,०९,००० अर्थात् १७ प्रतिशत, कायस्थोंकी १२,९७,००० अर्थात् १६ प्रतिशत और वैश्योंकी संख्या १,०३,००० अर्थात् १ प्रतिशत है। तीनोंकी संख्या इस प्रकार कुल लगभग २८,०९,००० है[१]

 
  1. ऐसा लगता है यहाँ गलती हो गई है। जोड़ २७,०९,००० होना चाहिए।