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परिशिष्ट


पूर्व बंगाल और सिलहटकी वैश्यशाह जाति, जो बंगालकी प्रमुख व्यवसायी जातियों में से एक है, मुख्यतः मैमनसिंह, पवना, बोगरा, राजशाही, फरीदपुर, ढाका, नोआखली, चटगाँव, टिपेरा और सिलहटके क्षेत्रोंमें रहती है और उसकी आबादी ३,६०,००० है, जो बंगालकी कुल हिन्दू आबादीका ३३ प्रतिशत है।

वैश्यशाहों में प्रति हजार साक्षरता ३४२ है जबकि अन्य जातियोंमें इस प्रकार है :

वैद्य ६६२
ब्राह्मण ४८४
कायस्थ ४१३
सुवर्ण वणिक् ३८३
गंध वणिक् ३४४

अन्य आचरणीय वर्गों में साक्षरता इससे भी बहुत कम है। जो अनाचरणीय माने जाते हैं उनका तो कहना ही क्या?

हमारी जाति शिक्षण तथा धर्मार्थ संस्थाओं अर्थात् कालेज, हाईस्कूल और मिडिल स्कूल, धर्मार्थ् दवाखाने और अस्पताल, तालाब, पक्के कुएँ आदिको काफी संख्यामें स्थापनाकी दष्टिसे तथा शैक्षणिक, धर्मार्थ् और धार्मिक संस्थाओंको आर्थिक सहायता देने के मामले में किसीसे पीछे नहीं है।

तौर-तरीके, रीति-रिवाज और आतिथ्यको दृष्टिसे यह जाति किसी भी अन्य जातिसे कम नहीं। जहाँत. स्त्री-शिक्षाका प्रश्न है, यह जाति किसी भी तरहसे कम प्रगतिशील नहीं है।

यह सब-कुछ होते हुए भी हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है मानो हम हिन्दू समाज के बाहर हों। अभीतक हिन्दू-समाजमें हमारे उचित स्थानको मान्यता देनेके लिए ईमानदारीके साथ कोई प्रयत्न नहीं किया गया हालांकि हमा सदस्य सभी राष्ट्रीय आन्दोलनोंमें भाग लेते रहे है। यदि इस जातिको सामाजिक भेदभाव और उससे उत्पन्न कठिनाइयोंका सामना न करना पड़ता तो वह और भी उपयोगी सिद्ध हो सकती थी।

यह जाति शूँडी लोगोंसे बिलकुल भिन्न है। इस बातका लाभ उठाते हुए कि शूँडो लोग भी शाहा उपनामका प्रयोग करते है, हिन्दु-समाजके संकीर्ण विचारोंवाले सदस्य हमारी समृद्धि से डाह करने के कारण, इस जातिको शूँडी (शराब विक्रेताओं) लोगोंके वर्ग में शामिल करके इसे द्वेषवश और झूठ-मूठ कलंकका टीका लगाते रहे है। परन्तु उपर्युक्त भ्रान्त और शरारतपूर्ण धारणाको दूर करने में हम काफी हदतक सफल हैं और इतिहासके सहारे यह स्थापित कर सके हैं कि यह जाति वैश्य वर्णकी है और यह समय-समयपर उत्तर-पश्चिम भारतसे व्यापारके उद्देश्यसे आकर पूर्वी बंगाल और सिलहटके कुछ भागोंमें बसती रही है और जब ब्राह्मणवादका फिरसे उत्थान हुआ तो यह जाति अन्य जातियोंकी तरह बौद्ध प्रभावको आसानीसे नहीं छोड़ सको, इसलिए उसे हिन्दु-समाजमें समुचित स्थान नहीं दिया गया और उसे घृणास्पद अवस्थामें छोड़ दिया गया।