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१६. पत्र : छगनलाल गांधीको

अजीमगंज
गुरुवार [६ अगस्त, १९२५][१]

चि॰ छगनलाल,

तुम्हारे दो पत्र मिले हैं। यह पत्र में अजीमगंजसे लिख रहा हूँ। मुझे यहाँ मणिलाल कोठारी देशबन्धु स्मारक कोषके लिए चन्दा इकट्ठा करने के लिए बुला लाये हैं। कल शुक्रवारको कलकत्ता पहुँचूंगा। वहाँसे उसी दिन जमशेदपुर चला जाऊँगा। शनिवार और रविवारको जमशेदपुरमें रहकर फिर सोमवारको सबेरे ही कलकत्ता पहुँच जाऊँगा। मैं महादेवको चन्दा इकट्ठा करनेके लिए कल तो कलकत्ता छोड़े जा रहा हूँ। क्रिस्टोदास बीमारीके कारण कोमिल्लाके अभय आश्रममें रह रहा है। जमनादास[२] शान्तिनिकेतन गया है और सोमवारको कलकत्ता पहुँच जायेगा। अपने स्वास्थ्यका ध्यान रखना। काशीके[३] बारेमें तो क्या कहूँ? प्रभुदाससे[४] कहना कि वह अपने मन और शरीरकी स्थितिके सम्बन्धमें मुझे लिखे।

लक्ष्मीके पत्र आते रहते हैं। यदि वह आना चाहे तो मुझे सूचित करना।

मूल गुजराती प्रति (सी॰ डब्ल्यू॰ ६१९४) से।
सौजन्य :छगनलाल गांधी
 

१७. पत्र : मणिबहन पटेलको

[मुर्शिदाबाद जिला ]
श्रावण बदी २ [६ अगस्त, १९२५][५]

चि॰ मणि,

तुम्हारा पत्र मुझे मिल गया था; और डाह्याभाईका भी। डाह्याभाईके पत्रका उत्तर तुरन्त दे देने के लिए मैने महादेवसे कह दिया था। वह मिल गया होगा। डाह्याभाईसे जो सवाल पूछा गया था, उसका उसने जवाब ही नहीं दिया। डाह्याभाईको शल्य चिकित्सा सीखनी हो तो यहाँ तथा कलकत्तामें भी पूरे साधन है। इन कालेजोंका सरकारके साथ कोई सम्बन्ध नहीं है।

  1. छगनलाल गांधी ने पत्र मिलनेकी तारीख श्रावण बदी ६, १९८१ लिखी है। यह १० अगस्तको थी इससे पहला गुरुवार ६ अगस्तको था
  2. क्रमशः छगनलाल के भाई।
  3. छगनलाल की पत्नी।
  4. छगनलाल का पुत्र।
  5. जैसा कि साधन-सूत्र में दिया गया है।