पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 28.pdf/६७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३९
भाषण : कृष्णनाथ कालेज, बहरामपुरमें


मणिलाल [कोठारी] ने तुम्हें बारह चूड़ियाँ भेज दी है, इसलिए अभी तो तुम्हें और चूड़ियोंकी जरूरत नहीं रह जाती। यदि ये चूड़ियाँ जल्दी टूटनेवाली निकलें तो ये महँगी पड़ेंगी, ऐसा समझना। इनसे तो चाँदीकी अथवा सूतसे गुंथी हुई चूड़ियाँ सस्ती पड़ेंगी। वे ऐसी गूंथी जा सकती हैं कि मोटी हों, मजबूत हों और जिन्हें हमेशा धोया जा सके। लेकिन इसपर तो जब हम मिलेंगे तभी विचार करेंगे। तबतकके लिए तो तुम्हारा इतना संग्रह काफी है।

मेरा वहाँ आना तो जब होगा तब होगा। शायद एक-दो दिनके लिए अक्तुबरमें आ जाऊँ।

बाइसिकल ली है, तो अब उसे कसरतकी दृष्टिसे भी चलाना।

आज हम मुर्शिदाबाद जिले में है। मणिलाल [कोठारी] यहीं है।

बापूके आशीर्वाद

चि॰ मणिबहन
मार्फत वल्लभभाई झवेरभाई पटेल, बैरिस्टर
खमासा चौकी
अहमदाबाद

[गुजरातीसे]
बापुना पत्रो—४ : मणिबहेन पटेलने
 

१८. भाषण : कृष्णनाथ कालेज, बहरामपुरमें[१]

६ अगस्त, १९२५

महाराजा साहब, भाइयो और साथी विद्यार्थियों,

मैंने आपके लिए साथी विद्यार्थी सम्बोधनका प्रयोग इसलिए किया कि यद्यपि मैं अब ५६ वर्षका हो गया हूँ, फिर भी अपनेको विद्यार्थी ही मानता हूँ। अपनी उम्रके साथ मुझे इस दुनियाका जितना अनुभव होता जाता है, मुझे इस बातकी प्रतीति उतनी ही अधिक होती जाती है कि मुझे अभी कितना-कुछ सीखना है और कितना-कुछ भूलना है। इस समय आप लोगोंके बीच आकर, आप सबसे मिलकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। यह मेरे लिए दोहरी प्रसन्नताका विषय है। मैं भारतमें कहीं भी विद्यार्थी समुदायसे मिलनेका कोई मौका हाथसे नहीं जाने देता और बराबर ऐसे मौकेकी तलाशमें रहता हूँ। इसलिए जब मुझे मालूम हुआ कि स्वागत-समिति द्वारा आयोजित अनेक समारोहोंमें यह समारोह भी शामिल है तो मुझे बड़ी खुशी

  1. वहाँ उन्हें एक मानपत्र और देशबंधु स्मारक कोष के लिए १,०६७ रुपयेकी एक थैली भेंट की गई थी। गांधीजी का भाषण संकेत लिपिमें लिख लिया गया था और उसे कालेज के स्मृति-ग्रन्थमें परिशिष्ट के रूपमें प्रकाशित किया गया था।