८८. पत्र: लेफ्टिनेंट गवर्नरके निजी सचिवको
ब्रिटिश भारतीय संघ
बॉक्स नं० ६५२२
जोहानिसबर्ग
सितम्बर १८, १९०५
मुझे आपके इसी १३ तारीखके पत्र, क्रमांक एलजी०९७/३, की पहुँच स्वीकार करनेका सौभाग्य प्राप्त हुआ। उसमें आपने मुख्य अनुमतिपत्र सचिवको लिखे गये मेरे पहली सितम्बरके पत्रके बारेमें कुछ पूछताछ की है।
बीच-बीचमें कुछ दिनोंको छोड़कर इस पत्रका लेखक १८८३ से उपनिवेशमें रहा है और यहाँके भारतीय समाजसे उसका घनिष्ठ सम्पर्क रहा है। उसका प्रतिनिधित्व करनेका सौभाग्य प्राप्त करते हुए उसे अब बारह वर्षसे भी अधिक हो गये हैं। इसलिए, युद्धके पहले ट्रान्स- वालमें १५,००० से अधिक ब्रिटिश भारतीय वयस्क पुरुष थे, इस वक्तव्यके समर्थनमें पहले सबूतके रूपमें लेखकका अपना अनुभव सेवामें प्रस्तुत है।
आगे मेरा संघ निम्नलिखित बातें इस वक्तव्यके समर्थनमें पेश करता है:
१. सन् १८९९ में तत्कालीन ब्रिटिश एजेंटने महामहिमकी सरकारको एक प्रतिवेदन पेश किया था जिसमें ब्रिटिश जनसंख्याके बारेमें मोटे आँकड़े दिये गये थे। ये आँकड़े समाचारपत्रोंमें प्रकाशित हुए थे। जहाँतक लेखकको याद है, उसमें ब्रिटिश भारतीयोंकी संख्या १५,००० दी गई थी।
२. सन् १८९५ में ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंने महामहिमके उपनिवेश-मन्त्रीकी सेवामें एक प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया था। वह दक्षिण आफ्रिकाके ब्रिटिश भारतीयोंकी शिकायतोंसे सम्बन्धित सरकारी रिपोर्ट में प्रकाशित हुआ है। उस समय ट्रान्सवालमें ब्रिटिश भारतीयोंकी आबादीका जो मोटा अन्दाज़ दिया गया था उसके मुताबिक तब कमसे-कम ५,००० भारतीय वयस्क पुरुष थे। किन्तु सन् १८९५ और १८९९ के बीचमें जो दक्षिण आफ्रिकामें रहे हैं वे जानते है कि ट्रान्सवालमें भारतीयोंकी संख्यामें सर्वाधिक वृद्धि इसी अवधिमें हुई। यह वृद्धि इतनी भयजनक मानी गई कि आजके कुछ भारतीय-विरोधी आन्दोलनकारियोंने भूतपूर्व राष्ट्रपति क्रूगरसे कार्रवाई करनेकी प्रार्थना की; किन्तु जहाँतक भारतीय प्रवासका सम्बन्ध है, सौभाग्यसे भूतपूर्व
१. देखिए, "पत्र : मुख्य अनुमतिपत्र सचिवको", पृष्ठ ५७ ।