कालाभाईको कामके सम्बन्धमें लिखू। इस सम्बन्धमें तुम्हें डरना नहीं चाहिए। मैं रेवाशंकर भाईको लिखूँगा।
हेमचन्दको कामसे हटाया न जाये। रामनाथको भी बहुत विचार किये बिना अलग न करना।
मोहनदास
चि० गोकुलदासके सम्बन्धमें तार मिला। पता नहीं चलता, वह अपना अनुमतिपत्र साथ लाया है या कल्याणदासके पास छोड़ आया है।
हमने जिस रुपयेकी प्राप्ति स्वीकार की है, सुलेमान इस्माइल उसका बिल मांगते हैं। वह उन्हें भेज दो।
मूल गुजरातीकी फोटो-नकल (एस०एन० ४२५०) से ।
९५. पत्र: छगनलाल गांधीको
जोहानिसबर्ग
सितम्बर २७,१९०५
तुम्हारा पत्र मिला।
हेमचन्दका पत्र आज आया है। उसमें उसने लिखा है कि उसको नौकरीसे निकलनेको अन्तिम सूचना दे दी गई है। उसपर मैने तार दिया है कि उसको न निकाला जाये। रामनाथको हटाना भी मुझे अखरता है। लेकिन यदि उसकी व्यवस्था चि० जयशंकरके पास हो सकती हो तो कर देना। मेरा हेमचन्दको दोषके बिना अलग करनेका बिलकुल विचार नहीं है। मैं उसका विशेष उपयोग करना चाहता हूँ। मैं तुमको लिख चुका हूँ कि मैंने इस सम्बन्धमें किचिनको पत्र लिखा है।
मैंने वीरजीको आज पत्र लिखा है। उसमें उसे उलाहना दिया है। वर्ष पूरा होने तक कालाभाईको रुपया चुकानेके लिए लिखा है।
मालूम होता है, हेमचन्दको मेरे पत्र नहीं मिलते। इसके साथ उसके लिए भी एक पत्र संलग्न है। इसे पढ़कर उसको दे देना। ग्रे स्ट्रीटके पतेसे पत्र मिलते हैं या नहीं, लिखना।
हम अखबारमें जिस रकमकी प्राप्ति स्वीकार कर चुके हैं उसका बिल सुलेमान इस्माइलको भेजनेके लिए मैंने लिखा है; क्योंकि उन्होंने वह मांगा है। इतनेपर भी वे यह रुपया न देंगे तो हम उसे बट्टे खाते लिख देंगे।
मुझे नहीं लगता कि मैं चि० गोकुलदासको दो महीनेमें गुजरातीमें तैयार कर सकूँगा। उसका ज्ञान कच्चा मालूम होता है।
१. श्री राजचन्द्र के एक सम्बन्धी।
२ और ३.ये उपलब्ध नहीं है।