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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 5.pdf/१७९

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श्री हरी स्मिथ और भारतीय

देशमें श्रमपर कर नहीं लगाया जाता, क्योंकि श्रम तो स्वयं सर्वोत्तम प्रकारका दान है। किसी भी देशको समृद्धि श्रमपर ही निर्भर करती है।

इसमें सन्देह नहीं कि व्यक्ति-करका सबसे अधिक प्रभाव वतनी और भारतीय लोगोंपर पड़ेगा। हमारे ट्रान्सवालके सहयोगियोंने इस बातको बिना कठिनाईके मान लिया है। यूरोपीयोंको तो बीचमें केवल इसलिए लाया गया है कि यह सभी लोगोंके लिए बनाया गया आम कानून प्रतीत हो; परन्तु हमारी इच्छा इसे उस दृष्टिसे देखनेकी नहीं है। कानून बन चुका है, और यद्यपि हम इसके लिए सरकारको उससे ज्यादा बधाई नहीं दे सकते, जितनी कि स्वयं सरकार अपनेआपको दे सकती है, तथापि हम सबको इस निर्णयके सामने सिर झुकाना चाहिए। इसके साथ ही हम अधिकारियों और साधारण जनतासे अनुरोध करते हैं कि वे इसी अंकमें प्रकाशित व्यक्ति-कर सम्बन्धी हमारे विशेष लेखको[] ध्यानसे पढ़ें।

परन्तु इस कानूनको बनाने, कानून बनानेवालोंका इरादा चाहे कुछ भी रहा हो, हमारा काम शिकायत करनेका नहीं है। यद्यपि हमारी सम्मतिमें इस कानूनकी कल्पनासे, और जो सत्य हमने ऊपर प्रकट किये है, उनसे भी, असन्दिग्ध रूपसे यह स्पष्ट हो जाता है कि जो लोग सचमुच कर नहीं दे सकते, उन्हें इससे मुक्त रखनेमें सरकारको अपने अधिकारका विचारपूर्वक उपयोग करना पड़ेगा। इस कारण यह अत्यन्त आवश्यक है कि इस करकी वसूलीके लिए जो नियम प्रकाशित किये जा चुके है उनपर फिर विचार कर लिया जाये, और वसूल करनेवालोंको यह अधिकार दे दिया जाये कि वे अपनी समझके अनुसार समाजके निर्धनतम व्यक्तियोंको अदायगीसे बरी कर दें। इस प्रकारके करकी वसूली, सरकार और उससे प्रभावित समुदायोंमें आपसी समझौतेसे ही की जा सकती है; वरना, जैसा कि हालमें एक वतनी वक्ताने चीफ मजिस्ट्रेट द्वारा बुलाई गई सभामें अर्थगर्भित शब्दोंमें कहा था, "सरकारको कर न देनेवालोंको बसानेके लिए उपनिवेशकी सड़कोंको जेलोंकी पंक्तियोंसे युक्त करना पड़ेगा।"

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २५-११-१९०५
 

१५९. श्री हैरी स्मिथ और भारतीय

'सोमाली' जहाजपर भारतीय यात्रियों के साथ हुए दुर्व्यवहारके विषयमें हमारी सम्पादकीय टिप्पणीके[] उत्तरमें प्रवासी-प्रतिबन्धक अधिकारीने जो पत्र लिखा था उसे हमने गत सप्ताह प्रकाशित किया था।

श्री स्मिथने इतना शीघ्र उत्तर दिया, इसके लिए हम उनके कृतज्ञ हैं। परन्तु हमें कहना पड़ेगा कि यह उत्तर निराशाजनक है। स्पष्ट है कि जो बातें हमारे संवाददाताने लिखी थीं और जिनका समर्थन एक दूसरे संवाददाताने भी किया था, वे सब प्रायः सत्य थीं। श्री स्मिथने हमारे संवाददाताकी शिकायतोंको छ: भागोंमें बाँटा है। उनमें से तीनका सम्बन्ध जहाजपर की व्यवस्थासे है। श्री स्मिथ इनमें से किसीकी भी जिम्मेवारी लेनेसे इनकार करते है और कहते हैं कि इनके लिए जिम्मेवार, लाने-ले जानेवालेकी हैसियतसे, जहाजी कम्पनी ही है। निःसन्देह नियमोंकी

 
  1. देखिए " नेटालमें व्यक्ति-कर", इंडियन ओपिनियन, २५-११-१९०५।
  2. देखिए "नेटालका प्रवासी-अधिनियम", पृष्ठ १३६।