जोहानिसबर्ग
दिसम्बर २१, १९०५
तुम्हारा पत्र और तार दोनों मिले। अगर हेमचन्द निकम्मा हो गया हो, या बर्खास्त कर दिया गया हो, तो गोकुलदाससे काम ले सकते हो। मेरी जोरदार सिफारिश तो यह है कि गोकुलदास तमिल विभागमें चला जाये। अगर वह जाये तो फिर मैं कल्याणदासको भेज सकता हूँ।
यात्राका टिकट बहुत सस्ता है। मैं तुम्हारे अनुमतिपत्रकी कोशिश कर रहा हूँ और तुम्हारी तैयारी पूरी होने तक वह तुम्हें मिल जायेगा। मुझे बहुत खुशी है कि आखिर तुमने आना तय कर लिया है।
डेलागोआ-बेसे होरमसजी ईदुलजीने ३ पौंड ७ शिलिंग और ६ पेन्सका एक ड्राफ्ट भेजा है। वे लिखते हैं कि रसीद उन्हें सीधी प्रेससे मिले। तो तुम उन्हें इस रकमकी रसीद भेज देना । इसमें विज्ञापनका पैसा और चंदा दोनों शामिल हैं। उनकी शिकायत है कि कुछ दिनोंसे उनके पास पत्र नहीं पहुँचता। यह देख लेना।
तुमने लिखा कि तुमने एक टोकरी आड़ भेजे थे। अभीतक तो वे मुझे नहीं मिले हैं। वीरजी इस महीनेके अन्त तक चले जायेंगे। उन्हें उनका वेतन, छत (डेक) का किराया और जहाजमें भोजनके लिए कुछ दे देना। मामूली तौरपर क्या दिया जाता है, यह मैं नहीं जानता। तुम उनसे बात कर लेना। परन्तु बहुत दाम-दिरम करनेकी जरूरत नहीं है। इस महीनेके आखिरी दिन यह सब उन्हें मिल जाये।
तुम्हारा शुभचिन्तक,
मो० क०गांधी
मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४२६७) से।
१. देखिए "पत्र: छगनलाल गांधीको", पृष्ठ ९१-२ ।