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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 5.pdf/२१२

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

नहीं जा सकता। एक अरबका सिर फट गया था। इस समय पुलिसने लोगोंको कमरेसे बाहर निकाला और उत्तेजित अरब पुलिसकी शक्तिके आगे इस तरह तितर-बितर हो गये जैसे हवाके आगे तिनके उड़ जाते हैं। पुलिसके बीच-बचावसे ऐसा मालूम हुआ कि झगड़ा खत्म हो गया, लेकिन बाहर जाते ही दुबारा मारपीट शुरू हो गई और आग बुझानेको सब कोशिशें बेकार गईं। यह झगड़ा क्यों हुआ, इसका केवल अनुमान ही किया जा सकता है। परन्तु यह मामला अवश्य ही बड़ा होगा, क्योंकि हमारा संवाददाता लिखता है कि अभी यह होली ठंडी नहीं हुई है। टाउन हॉलके पास अब भी पुलिस खड़ी है। इससे कोई डरनेकी बात नहीं है। झगड़ा सिर्फ अरबोंमें है इसलिए गोरोंके घबरानेका कोई कारण नहीं है। दोनों पक्षोंके लोग कहते हैं कि वे बाहर मैदानमें लड़ाई करेंगे। कल रात सब-कुछ शान्त था। लेकिन अभी भी झगड़ा नहीं मिटा है। इसलिए डर है कि उपद्रव और भी होगा।'

इस खबरको पढ़नेके बाद किसे शर्म नहीं आयेगी? हमें यह अनुवाद करते हुए शर्म आ रही है और हम आशा करते हैं कि हीडेलबर्गके भाई वस्तुस्थितिको समझकर लज्जित होंगे और शान्त हो जायेंगे।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३०-१२-१९०५


१८६. वतनियोंमें शिक्षण-कार्य

वतनियोंके लिए केप कालोनीमें 'इन्वो' नामका एक अखबार निकलता है। उसके मालिक श्री टेंगो जबावु नामके एक वतनी हैं। वे अपने भाइयोंके लिए बहुत परिश्रम करते जान पड़ते है। आजकल वतनियोंमें शिक्षाका अधिक प्रसार करनेके सम्बन्धमें चर्चा चल रही है। इसलिए श्री टेंगो जबावू दक्षिण आफ्रिकामें एक विशाल वतनी महाविद्यालयको स्थापनाके सम्बन्धमें घूम रहे हैं। उसमें उनके दो हेतु हैं : एक तो महाविद्यालयके लिए चन्दा इकट्ठा करना और दूसरा ऐसी अर्जीपर लोगोंके हस्ताक्षर प्राप्त करना कि महाविद्यालय होना चाहिए और सरकारको उसके लिए मदद देनी चाहिए।

श्री टेंगो जबावूने 'ट्रान्सवाल लीडर के सम्पादकसे मुलाकात की है। और इस पत्रमें उसका सारा विवरण प्रकाशित किया गया है। वे वतनियोंमें से ५०,००० पौंड एकत्रित करनेकी आशा करते हैं और अर्जीपर २,००,००० वतनियोंके हस्ताक्षर लेना चाहते हैं।

श्री टेंगो जबावू चाहते हैं कि क्तनियोंकी लवडेल-स्थित मौजूदा सरकारी-पाठशाला तथा उसके आसपासको जमीन खरीदकर उसमें महाविद्यालय बनाया जाये और वहाँ ऊँची शिक्षा दी जाये।

१८८६ से १९०० तक लवडेलसे ८३६ वतनियोंने केप विश्वविद्यालयकी परीक्षा उत्तीर्ण की है। इनमें से १३ लड़के मैट्रिकमें उत्तीर्ण हुए हैं। लवडेलकी पाठशालामें ७६८ आफ्रिकी शिक्षक तैयार हुए हैं। उपर्युक्त अवधिमें आफ्रिकियोंने लवडेलमें शुल्क आदि मिलाकर ६३,७३४ पौंड दिये हैं।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन,३०-१२-१९०५