१९८. ईरान के शाह
ईरान के शाहने अपनी प्रजाको नया संविधान दिया है और कहा है कि जिस तरह राज्य पश्चिमी देशोंमें चलता है उसी तरह नियमित ढंगसे वे भी चलाना चाहते हैं । उन्होंने लोगोंको शासन व्यवस्था में हिस्सा दिया है। यदि इस प्रकार ठीक काम चला तो सम्भव है ईरानकी बादशाही बहुत बढ़ जायेगी। इसमें सन्देह नहीं कि यह सब जापानकी जीतका' ही असर है ।
इंडियन ओपिनियन, ३-२-१९०६
१९९. पत्र : उपनिवेश-सचिवको
जोहानिसबर्ग
फरवरी ९, १९०६
उपनिवेश सचिव
प्रिटोरिया
मेरे संघको अनेक सूत्रोंसे सूचना मिली है कि अनुमतिपत्र- कार्यालयमें परिवर्तन' होनेके बाद, भारतीय समाजको मेरे संघके द्वारा अथवा अन्य किसी प्रकारसे किसी प्रकारकी चेतावनी दिये बिना निम्नलिखित रद्दोबदल किये गये हैं:
(१) उन बच्चोंकी नाबालिगी की उम्र, जो इस देशमें प्रवेश करना चाहते हैं, सोलह वर्षसे नीचेके बदले बारह वर्षसे नीचे कर दी गई है।
(२) अभिभावकोंके हलफनामे स्वीकार नहीं किये जाते हैं। दूसरे शब्दोंमें, वे ही बच्चे, जिनके माता-पिता ट्रान्सवालमें रहते हैं, यहाँ प्रवेश पा सकते है।
(३) अब प्रिटोरियासे बाहरके शरणार्थियोंके गवाहोंसे भिन्न-भिन्न जिलोंके आवासी मजिस्ट्रेटों द्वारा जिरह की जा रही है। परिणामस्वरूप अनेक शरणार्थियोंके प्रार्थनापत्र अभी अनिश्चित् समयके लिए लटक गये हैं।
भारतीय समाजपर जो इस प्रकार अचानक ही ये तब्दीलियाँ लाद दी गई हैं, उनका मेरा संघ आदरपूर्वक विरोध करता है। जो भी परिवर्तन विचाराधीन रहे हैं उनके सम्बन्धमें, साधारणतया मेरे संघको सूचना मिलती रही है और कुछ मामलोंमें सरकारने मेरे संघसे सलाह- मशविरा करनेका सौजन्य भी दिखाया है। अतएव मेरे संघको इस घटनासे अप्रिय आश्चर्यं हुआ है कि अनुमतिपत्र सम्बन्धी विनियमोंमें भारतीय समाजपर असर करनेवाले भारी परिवर्तन कर डाले गये हैं और ऐसा करनेके पूर्व किसी प्रकारकी सूचना नहीं दी गई। और इतनेपर भी भारतीय समाजको इन बातोंका पता तभी चल पाया है जब वास्तविक घटनाएँ सामने आई हैं।
१. रूस और जापानके युद्ध में; देखिए "रूस और भारत ", पृष्ठ १३७-८ । २. देखिए “ ट्रान्सवाल्के भारतीय और अनुमतिपत्र ", पृष्ठ २०१-२ । Gandhi Heritage Portal