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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
न करें तो मैं नहीं समझता, हम उन्हें कुछ भी देनेके लिए बँधे हैं। उन्होंने मुझे नहीं लिखा । प्रिटोरियासे कल दो कागज भेजे हैं, जरूरत पड़े तो उन्हें छापना । [१]
तुम्हारा शुभचिन्तक,
मो० क० गां०
श्री छगनलाल खुशालचन्द गांधी मारफत
'इंडियन ओपिनियन'
मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस० एन० ४३०७ ) से ।
२०४. पत्र : टाउन क्लार्कको
२१-२४ कोर्ट चेम्बर्स
नुक्कड़, रिसिक व ऐंडर्सन स्ट्रीट्स पो० ऑ० बॉक्स ६५२२
- जोहानिसबर्ग
- जोहानिसबर्ग
फरवरी १३, १९०६
सेवामें
टाउन क्लार्क
पो० ऑ० बॉक्स ३४४
महोदय,
आपकी इसी महीनेकी १० तारीखकी चिट्ठी, संख्या २४९/६५५८/०६ मिली । मुझे आशा है कि आप उपनियम मंजूर होते ही मुझको इत्तिला देंगे। इस बीच, जैसा मैं आपको सूचित कर चुका हूँ, मेरे मुवक्किलका भोजनालय चालू है ।
आपका आज्ञाकारी सेवक,
मो० क० गांधी
[ अंग्रेजीसे ]
क्रूगर्सडॉर्प नगर परिषदके रेकर्ड्स से ।
- ↑ १. यह पंक्ति गुजराती में गांधीजीके हाथकी लिखी हुई है।