योगका सवाल सिर्फ भावनाका सवाल नहीं है, बल्कि उसका आर्थिक महत्त्व भी है। भारतीय व्यापारियों और दूसरे रंगदार लोगोंका सार्वजनिक वाहनोंपर वही अधिकार है जो जोहानिसबर्गके किसी भी दूसरे समाजका है । वे देशका अंग हैं; करदान इत्यादिके रूपमें उनसे भी नागरिकताका भार वहन करने को कहा जाता है, और जोहानिसबर्ग नगरपालिका, नगरपालिकाकी ट्रामोंका उपयोग करनेके अधिकारसे उनको वंचित करनेमें कठिनाई महसूस करती है । जो भी नियम बनाये जायेंगे उनपर लेफ्टिनेंट गवर्नरकी मंजूरी लेनी होगी; और हमें आशा है कि जिन नियमोंकी ओर हमने सार्वजनिक ध्यान आकर्षित किया है वे अगर परमश्रेष्ठके पास भेजे ही गये तो वे उन्हें नामंजूर करनेके अपने विशेषाधिकारका प्रयोग करनेमें हिचकिचायेंगे नहीं ।
इंडियन ओपिनियन, १७-२-१९०६
२०९. पत्र : छगनलाल गांधीको
[ जोहानिसबर्ग ]
शनिवार, फरवरी १७, १९०६
थोड़ी गुजराती आज भेज रहा हूँ। और कल भेजी जायेगी। जहाँतक बनेगा, हर हफ्ते 'जोहानिसबर्गकी चिट्ठी" भेजूंगा । उसका स्थान तो एक ही रखना ठीक होगा। जहाँतक बने, गुजराती विभागके हिस्से कर लेने चाहिए और हमेशा हर जगह उसी किस्मके लेख आयें, ऐसा प्रयत्न करना चाहिए।
तुम हफ्ते में एक दिन कहीं बाहर जानेके लिए जरूर रखो, जिससे उस स्थानका पत्र भी दिया जा सके। मुझे हर हफ्ते एक पत्र अवश्य तफसीलवार लिखा करो। हेमचन्द कैसा चल रहा है ?
सारी गुजराती सामग्री ढंगसे सुधारी जाये । नेटालके 'गज़ट' से जायदादोंकी विज्ञप्ति भी किसी हफ्ते में नहीं चुकनी चाहिए। तुमने जो गुजराती टाइप मँगाया है, वह कितना मँगाया है, सो लिखना । यानी कितने पृष्ठ बढ़ाये जा सकेंगे ? अगले वर्ष १२ पृष्ठ दे सकने योग्य टाइप हमें चाहिए। इस हिसाब से यदि और आवश्यकता हो, तो मुझे सूची भेजना, ताकि टाइप मँगाया जा सके ।
ब्रायन गैब्रियलके बारेमें पत्र पढ़ा होगा । मेरा खयाल है कि वह आये तो ठीक होगा ।
तुम उर्दूकी बात ध्यानमें रखना । कम्पोज़ करनेमें तुम्हारी आँखोंको तकलीफ हो तो विलकुल मत करना ।
मोहनदासके आशीर्वाद
गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रतिकी फोटो नकल (एस०एन० ४३१०) से ।