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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 5.pdf/२४८

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्म


मलय बस्ती

मलायी बस्तीकी स्थिति बहुत शर्मनाक हो गई है। गन्दगी खूब रहती है। धनका झूठा लोभ करके एक ही कोठरीमें बहुत-से लोग भरे रहते हैं। पाखानों तथा अहातोंमें बड़ी बदबू रहती है। ऐसी हालत में अगर लम्बे समय तक बारिश होती रहे, तो प्लेग शुरू हुए बिना रह नहीं सकता। यह जरूरी है कि समझदार लोग इसपर अच्छी तरह विचार करें। यह काफी नहीं है कि वे अपने-अपने मकान साफ रखें, बल्कि उन्हें दूसरोंको भी वैसा करनेके लिए समझाना चाहिए। अगर ऐसा न हुआ तो हम भारतीय बस्ती तो खो ही बैठे हैं, मलायी बस्ती भी हमारे हाथसे निकल जायेगी। यही नहीं, बल्कि तेरह मील दूर क्लिपस्प्रूटमें रहने जाना पड़ेगा। यह अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए कि अधिकारीगण खास तौरपर मेहनत करके सफाई रखवाया करेंगे। उनका स्वार्थ तो इस बातमें है कि हमारे घर किसी तरह अधिक गन्दे रहें, क्योंकि मकान गन्दे होंगे तो वे हमपर गन्दगीका आरोप लगाकर हमें हटा सकते हैं।

जोहानिसबर्ग में नई मस्जिद

जोहानिसबर्ग में इधर कई सालोंसे भारतीय मुसलमानोंकी एक ही मस्जिद थी, लेकिन अब सूरतके खोजा लोगोंने एक बड़ी निधि इकट्ठा करके अपनी बस्ती में एक जमीन खरीदी है और उसपर नई मस्जिद बनानेकी तैयारियाँ हो रही हैं।

ट्राम गाड़ियाँ

डॉक्टर काउज यहाँकी नगर-परिषदके सदस्य हैं। उन्होंने अपने मतदाताओंसे भेंटके समय कहा है कि उनका बस चले तो वे भारतीयोंको और काले लोगोंको ट्राममें बैठने न दें, लेकिन कानूनन् वे उन्हें रोक नहीं सकते। इसलिए वे स्वयं विरोध करनेमें असमर्थ हैं।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३-३-१९०६
 

२२२. अभिनन्दन-पत्र[] : अब्दुल कादिरको

डर्बन

[फरवरी २८, १९०६]

आप भारत जा रहे हैं। आपने नेटाल भारतीय कांग्रेसके अध्यक्ष रहते हुए भारतीय समाजकी जो सेवाएँ की हैं उनको अंकित किये बिना ही इस अवसरको निकल जाने देना हम नेटाल भारतीय कांग्रेसके सदस्योंके लिए सम्भव नहीं है।

आप एक ऐसे अध्यक्षके बाद पदासीन हुए थे, जिन्होंने अपनी कर्मठतासे कांग्रेसका बहुत कार्य किया था। और हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि आप उस उत्तराधिकारको निभाने में योग्य सिद्ध हुए। कांग्रेसकी आर्थिक स्थिति आज सुदृढ़ है। उसे ऐसा बनाने में आपने थोड़ा योगदान नहीं किया है। आपके अध्यक्ष- कालमें हमने अनेक राजनीतिक लड़ाइयाँ लड़ी

 
  1. यह अभिनन्दनपत्र एक रजत-मंजूषामें रखा गया था और इसे नेटाल भारतीय कांग्रेसकी एक बैठकमें आदमजी मियाँखोंने पढ़ा था। बैठक पद-विरत होनेवाले अध्यक्षके भारत जानेके अवसरपर उनका विदाई सत्कार करनेके लिए आयोजित की गई थी। इसी तरहका अभिनन्दनपत्र उन्हें डर्बनके हायर ग्रेड भारतीय स्कूलकी ओरसे भी दिया गया था।