२२६. केपके भारतीय व्यापारी
हमारे केपके संवाददाताने केपके छोटे भारतीय दूकानदारोंकी कुछ आलोचना की थी। उसपर हमने अपने विचार कुछ समय पूर्व इन स्तंभों में प्रकाशित किये थे। हमारे इन विचारोंके उत्तरमें उक्त संवाददाताने हमें एक पत्र भेजा है। इसको हम सहर्ष छाप रहे हैं। निश्चय ही हमारा यह खयाल है कि सर जेम्स हलेटकी[१] गवाही केपपर भी उसी प्रकार लागू है जिस प्रकार नेटालपर। भारतीय वहाँ भी वैसे ही हैं जैसे नेटालमें। और यदि उनके व्यापारसे नेटालको आम तौरपर लाभ हुआ है तो केपमें भी, जहाँ आर्थिक स्थितियाँ उसी प्रकार हैं, उनसे लाभ हुए बिना नहीं रह सकता। किन्तु खास मुद्दा, जिसकी ओर हमने निरन्तर ध्यान दिलाया है, यह है कि निन्दकों द्वारा भारतीय व्यापारियोंपर लगाये गये बहुत-से आरोप सत्य सिद्ध नहीं किये जा सकते हैं। हमने दक्षिण आफ्रिका अथवा उसके किसी भी हिस्सेमें भारतीयों अथवा दूसरे व्यापारियोंको भर देनेकी नीतिका समर्थन कभी नहीं किया है; किन्तु हमारा यह विश्वास अवश्य है कि यह मसला प्रतिबन्धात्मक कानूनोंके बिना भी तय किया जा सकता है। अगर हमारे संवाददाता केप कालोनीके विभिन्न जिलोंके यूरोपीय और भारतीय व्यापारियोंका तुलनात्मक विवरण तैयार कर सकें तो इससे निश्चय ही सवालको हल करनेमें मदद मिलेगी। हमारे पास जो जानकारी है, उससे तो हमारा खयाल यही होता है कि केपमें भारतीय व्यापारी बहुत अल्पमत में हैं।
इंडियन ओपिनियन, ३-३-१९०६
२२७. मध्य दक्षिण आफ्रिकी रेल प्रणालीमें[२] भारतीय यात्री
एक संवाददाताने हमारे गुजराती स्तंभों में लिखा है कि पिछली २६ फरवरीकी शासको जोहानिसबर्गसे डर्बनको जो गाड़ी रवाना हुई, उसके दूसरे दर्जे के एक डिब्बेमें उसने सात भारतीय यात्री बैठे देखे । उनमें एक भारतीय महिला भी थी। वह आगे कहता है कि उसमें आठवाँ यात्री जस्टिन में आ गया, जिससे दूसरे यात्रियोंको बड़ी तकलीफ हुई । रातको यात्रामें दूसरे दर्जेके एक सामान्य डिब्बेमें मुश्किलसे छः यात्री समा सकते हैं। हम समझते हैं, यात्रियोंको लम्बी यात्राओं में रातकी गाड़ियोंमें सोनेकी जगह लेनेका हक होता है । हमारे संवाददाताने यह नहीं लिखा कि उसने जिसका उल्लेख किया है उस अवसरपर गाड़ीमें असाधारण भीड़ थी । किन्तु जो भी हो, इतने यात्रियोंको, जबकि उनमें से एक नारी थी, पशुओंकी तरह भर देनेके औचित्य- पर हम सन्देह किये बिना नहीं रह सकते। ऐसे मामलों में भारतीय महिलाको भी हक है कि उसका कुछ विशेष ध्यान रखा जाये । भारतीयलोगोंको वह स्थान पानेका अधिकार है, जिसके