२३३. पत्र : ए° जे° बीनको
जोहानिसबर्ग
मार्च ५, १९०६
मेरा खयाल है ब्रायन गैब्रियल महीनेके अन्त तक कामपर आ जायेंगे। उन्होंने साथका नक्शा[१] मेरे पास भेजा है। वे जिस घरमें आर्चड थे उसमें, इसके मुताबिक परिवर्तन कराना चाहते हैं। कृपया आप इन्हें समझकर मुझे लिखिए कि इन परिवर्तनोंमें कितना खर्च आयेगा। मेहरबानी करके मुझे सूचित करें कि क्या उस घरमें स्नानघर, पाखाना और टंकी है। क्या मकानकी दीवारें पक्की हैं? मैं जानबूझकर यह काम आपके सुपुर्द इसलिए कर रहा हूँ कि छगनलालपर और बोझ न पड़े; उसे कामके अधिक होनेकी शिकायत है। अगर मुमकिन हो तो वापसी डाकसे इसका जवाब दें। उम्मीद करता हूँ कि आप मेरे पत्रपर[२] विचार कर रहे हैं और उसका अनुकूल उत्तर मुझे देंगे।
कुनेकी किताब[३] शनिवारको चली जानी थी। उसे अब आज भेजा जा रहा है।
आपका शुभचिन्तक,
मो° क° गांधी
मारफत 'इंडियन ओपिनियन'
मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस° एन° ४३१७) से।
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