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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 5.pdf/२६९

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२४१. व्यक्तिकर सम्बन्धी शिकायत

हमारे गुजराती स्तम्भोंसे प्रकट होता है कि व्यक्तिकर देनेवाले भारतीयोंको यूरोपीय एवं भारतीय करदाताओंके बीच कथित व्यवहार-भेदके कारण बहुत खीज होती है। एक पीड़ित व्यक्ति कहता है :

जब कोई यूरोपीय व्यक्तिकर देने जाता है, उसे पाँच मिनट भी रुकना नहीं पड़ता। इसके विपरीत भारतीयको प्रायः सारा दिन लगा देना पड़ता है, तब कहीं उससे करकी रकम ली जाती है और उसका काम निबटाया जाता है।

अगर यह सच है कि जो भारतीय कर-दाता कर देना चाहते हैं उनको कर अदा करने तथा उसकी रसीद पाने में करीब-करीब पूरा दिन बिताना पड़ता है, तो सरकार द्वारा की गई व्यवस्थामें कोई जबरदस्त खराबी है और हम अधिकारियोंका ध्यान इस शिकायतकी ओर आकर्षित करते हैं।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १०-३-१९०६
 

२४२. जर्मन पूर्वी आफ्रिका जहाज प्रणालीके भारतीय यात्री

हमारे गुजराती स्तम्भों द्वारा एकाधिक संवाददाताओंने उस असुविधाकी ओर ध्यान दिलाया है जो डर्बनकी पिछली यात्रामें 'सोमाली' जहाजके मुसाफिरोंको हुई थी। उनमें से एक लिखता है :

'सोमाली' जहाजके, जो २० जनवरीको रवाना हुआ, मुसाफिरोंको भोजन बनाने वगैरहकी अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जहाजके खलासी मुसाफिरोंके आरामके बारेमें बिलकुल लापरवाह थे, और कप्तानसे शिकायतें की जातीं तो वह सुनता ही नहीं था।

हम जर्मन पूर्वी आफ्रिका जहाज प्रणालीके एजेंटोंका ध्यान उपर्युक्त शिकायतोंकी ओर आकर्षित करते हैं। अगर वे कोई खुलासा देना चाहें तो उसे छापने में हमें खुशी होगी। कुछ भी हो, हमें विश्वास है कि इसकी पूरी जाँच की जायेगी; और इस तथ्य को देखते हुए कि भारतीयोंसे इस जहाज-प्रणालीको काफी मदद मिलती है, स्वार्थकी नीतिसे भी भारतीय यात्रियोंका लिहाज करना जरूरी होगा।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १०-३-१९०६