जो कहे उसके अनुसार दूसरे भारतीय व्यापारी चलें, तो वह बहुत काम कर सकेगा। अंग्रेजोंके संघका इसलिए बहुत प्रभाव पड़ता है कि दूसरे व्यापारी उसकी सत्ता स्वीकार करते हैं। अगर हम ऐसी हालत पैदा न कर सकें, तो संघकी स्थापना करना या न करना बराबर ही माना जायेगा। अतएव दृढ़ विचार करके अनुभवी और परोपकारी भारतीय व्यापारी इकट्ठे होकर भारतीय व्यापार-संघकी स्थापना करें, तो लाभ हो सकता है; और यह माना जा सकता है कि भारतीय व्यापारियोंकी स्थितिको सुधारनेके लिए एक अच्छा रास्ता अपनाया गया है।
इंडियन ओपिनियन, ५-५-१९०६
३३०. जोहानिसबर्गको चिट्ठी
मई ५, १९०६
मलायी बस्ती
मैं यह खबर दे चुका हूँ कि मलायी बस्तीके बारेमें शिष्टमण्डल जाकर लौट आया है।[१] लेफ्टिनेंट गवर्नरने उसका जवाब भेजा है। उसमें कहा गया है कि मलायी बस्तीका कुछ हिस्सा रेलवेवाले ले लेंगे। बाकी हिस्सा जोहानिसबर्गकी नगरपालिका लेगी। जिन लोगोंके मकान बस्ती में हैं, उन्हें दोनों विभागोंकी ओरसे हर्जाना मिलेगा; और उपनिवेश सचिव बस्तीके निवासियोंके लिए दूसरी बस्ती बनायेंगे। इस जवाबका कोई मतलब नहीं होता। इतना तो शिष्टमण्डलके जानेसे पहले भी सब लोग जानते थे। स्थानीय सरकारकी ओरसे तत्काल किसी प्रकारका इन्साफ मिलता नहीं दिखता।
रेलवेकी परेशानी
जोहानिसबर्ग से प्रिटोरिया जानेवाली ८-३० की और ४-४० की गाड़ीमें और प्रिटोरिया से आनेवाली सुबह ८-३० की गाड़ीमें भारतीय और दूसरे काले लोगोंको यात्रा करनेकी जो मनाही है, उसके बारेमें ब्रिटिश भारतीय संघकी ओरसे उसके अध्यक्ष और मन्त्री, मुख्य प्रबन्धक श्री प्राइससे मिलकर आये हैं। लगभग एक घंटे तक बातचीत हुई। श्री प्राइसका कहना है कि फिलहाल गोरोंमें इतनी तीव्र उत्तेजना है कि इस मामलेमें भारतीयोंको बहुत दबाव नहीं डालना चाहिए। आखिर उन्होंने यह मध्यम मार्ग सुझाया कि यदि किसी भारतीयको किसी खास कामसे इन गाड़ियोंमें जाना जरूरी ही हो, तो उसे स्टेशन मास्टरसे कहना चाहिए। वह गार्ड के साथ बैठनेका प्रबन्ध कर देगा। लेकिन श्री प्राइसकी सलाह यह है कि फिलहाल, जहाँतक बन सके, भारतीयोंको इन तीन गाड़ियोंमें कम ही जाना चाहिए। उन्होंने यह मंजूर किया है कि इस प्रकारकी रुकावटें बढ़ाई नहीं जायेंगी। इस बारे में एक जानने योग्य मामला हुआ है। एक काला आदमी दूसरे दर्जे के डिब्बेमें जा रहा था। उसके पास एक गोरी महिला बैठी थी। यह देखकर बाउकर नामक एक गोरेका खून खौल उठा। उसने उस काले आदमीको वहाँसे हट जाने को कहा। काले आदमीने अपना टिकट दिखाया। लेकिन इससे बाउकरको सन्तोष नहीं हुआ। उसने गार्डसे कहा। गार्डने बीचमें पड़नेसे इनकार कर दिया। इसपर बाउकरने
- ↑ देखिए "जोहानिसबर्गकी चिट्ठी", पृष्ठ २९८-९।