बढ़ा। इस प्रकारके कई उदाहरण देकर कानूनका विरोध करनेवाले कहते हैं कि टीका लगानेसे किसी प्रकारका लाभ होता है, इसे वे मान नहीं सकते। इसलिए कानूनकी धारामें एक स्वविवेककी धारा (कॉशन्स क्लॉज) रखनी चाहिए। अर्थात् अगर लोग मजिस्ट्रेटके सामने जाकर अन्तःकरणसे स्वीकार करें कि वे चेचकके टीकेको लाभप्रद नहीं मानते, तो ऐसे लोगोंपर चेचकका कानून लागू नहीं हो सकेगा। यह धारा इंग्लैंडके कानूनमें भी है। गोरे यहाँ भी कुछ सभाएँ करके उक्त धारा शामिल करनेके बारेमें जोरोंसे चर्चा कर रहे हैं। बहुत सम्भव है कि इस हलचलके परिणामस्वरूप उक्त धारा कानूनमें शामिल कर ली जाये।
भारतीयोंकी दृष्टिसे देखें, और चेचकका टीका लगानेसे नुकसान होता है या फायदा, इस सवालको छोड़ भी दें, तो भी यह सच ही है कि प्रस्तावित धारा न रही, तो कुछ भारतीयोंको कुछ-न-कुछ अत्याचार सहन करने ही होंगे।
इंडियन ओपिनियन, २६-५-१९०६
३६२. जोहानिसबर्ग की चिट्ठी
मई २६, १९०६
अनुमतिपत्रके विषयमें लॉर्ड सेल्बोर्नका जवाब'
लॉर्ड सेल्बोर्नको ब्रिटिश भारतीय संघने फिरसे लिखा था। उन्होंने जवाब भेजा है कि उसका वे तत्काल इससे ज्यादा जवाब नहीं दे सकते। इसका अर्थ यह है कि औरतोंको अनुमतिपत्र लेना पड़ेगा और बच्चे केवल १२ वर्षसे कम उम्र के ही आ सकेंगे।
इलाज
यह जवाब बहुत खेदजनक है। फिर भी स्त्रियोंको अलग से अनुमतिपत्र निकलवाना आवश्यक नहीं है और लड़कों के बारेमें संघर्ष जारी रहना चाहिए।
ब्रिटिश भारतीय संघकी माँग
संघने पंजीयक श्री चैमनेको पत्र लिखा है कि आखिर १२ वर्षकी उम्र के भीतरके जो लड़के फिलहाल अलग-अलग बन्दरगाहोंमें आनेका रास्ता देखते हुए बैठे हैं, उन्हें तो अवश्य अनुमति मिलनी चाहिए। संघने सूचित किया है कि ऐसे लड़के १०० से अधिक नहीं होंगे।
अनुमतिपत्रके विषयमें महत्वपूर्ण मुकदमा
एक ओर इस प्रकार दबाया जा रहा है और दूसरी तरफसे कानून मदद करता है। आदम इब्राहीम नामका एक १२ वर्षसे कम उम्रका लड़का है। उसका पिता जोहानिसबर्ग में है। वह लड़का परिचयपत्र (लेटर ऑफ नोटिफिकेशन) लेकर आया है। उसे अभीतक अनुमतिपत्र नहीं मिला। वह प्रिटोरिया नहीं गया। इस बीच उसके ऊपर कल श्री क्रॉसके सामने ३ पौंडका पंजीयनपत्र न लेनेका मुकदमा चलाया गया। उसमें उसके वकील श्री गांधीने यह आपत्ति की कि लड़कों के लिए ३ पौंडका पंजीयनपत्र लेना आवश्यक नहीं है। और चाहे जो हो, तो भी जो व्यक्ति स्वयं व्यापार नहीं करता, उसे पंजीयनपत्र चाहिए ही नहीं। न्यायाधीशने इस आपत्तिको मंजूर करके मुकदमा खारिज कर दिया है।