मुकदमेका परिणाम
इस मुकदमेंपर अगर अपील न हो, तो यह निश्चित है कि जो लड़के फिलहाल ट्रान्सवालमें हैं, उनके पास यदि अनुमतिपत्र या पंजीयनपत्र न हों, तो भी उनके रहनेमें कोई आपत्ति नहीं होगी। वास्तवमें इस मुकदमेके द्वारा अनुमतिपत्रका अन्तिम फैसला नहीं होता। किन्तु इसका ऐसा अर्थ निकल सकता है। यह सम्भव है कि लड़कोंके अनुमतिपत्रका मुकदमा कभी-न-कभी लड़ना पड़े।
ट्रामका मुकदमा
इसके बारे में अब भी चर्चा होती रहती है। श्री लेनने परिषदमें सवाल पूछा है। अभी परिषदने उसका जवाब नहीं दिया है। श्री गांधीने उसके विषयमें 'लीडर' को[१] जो पत्र लिखा है, उसका भावार्थ नीचेके अनुसार है :
आप लिखते हैं कि मजिस्ट्रेटने जो फैसला दिया है, वह असन्तोषजनक है। क्योंकि उसके कारण अब चाहे जैसा (गन्दा) आदमी हो, बैठ सकेगा। वतनी भी बैठ सकेगा। किन्तु अदालतका फैसला ऐसा नहीं है। वतनीको ट्राममें बैठनेका कानूनन अधिकार नहीं है, ऐसा न्यायालयने जाहिर किया है। और ट्रामके नियमके मुताबिक गन्दे कपड़ेवालों अथवा शराब पिये हुए लोगोंको बैठनेकी मनाही है। इसलिए न्यायालयके फैसलेके आधारपर केवल साफ रहनेवाले भारतीय अथवा गैर-वतनी काले ही बैठ सकेंगे।
किन्तु इस जीतको भी परिषदने अनुचित रूपसे छीन लिया है। शुक्रवारको न्यायाधीशने फैसला दिया और शनिवारको 'गवर्नमेंट गजट' से खबर मिली कि नगर परिषदने ट्रामके नियम वापस ले लिये हैं। इसका यह अर्थ हुआ कि अब इस उपनियमके आधारपर भारतीय मुकदमा नहीं चला सकेंगे और शायद परिषद ऐसा भी विचार करती हो कि अब १८९७ का चेचकका कानून भारतीयोंपर लागू हो जायेगा।
हमेशा माना गया है कि अंग्रेजी प्रजा किसीकी पीठमें छुरा नहीं मारती। किन्तु जैसा मुझे लगता है, और ऐसा ही दूसरे करदाताओंको भी लगना चाहिए, नगर परिषदने भारतीय कौमकी पीठमें छुरा मारा है। आप फैसले के नतीजेपर खेद प्रकट करते हैं। किन्तु मैंने जो उदाहरण दिये हैं उनके सम्बन्ध में भी फिलहाल तो खेद करने योग्य कुछ नहीं बचा। किन्तु परिषदने जिस अनीतिपूर्ण तरीके से आजकी स्थिति पैदा की है उसे क्या आप पसन्द करते हैं?
अब ट्रामके मामलेकी तीसरी अवस्था शुरू हुई है।
रेलगाड़ियोंकी तकलीफ
यह तकलीफ तो हमें हमेशा ही रही है। मैं लिख चुका हूँ कि महाप्रबन्धकने प्रिटोरिया से जोहानिसबर्ग जानेवाली शामकी ५-५ की गाड़ीमें काले आदमी न जायें, ऐसा लिखा था। इसके जवाबमें संघने लिखा और महाप्रबन्धकने उत्तर दिया कि गाड़ीमें काले आदमियोंके लिए छूट रखी जायेगी। इसी तरह जोहानिसबर्गसे जानेवाली शामकी ४-४० की गाड़ीके लिए भी छूट माँगी है। यदि इसके बारेमें भी ऐसा ही जवाब आया, तो भी प्रिटोरिया-जोहानिसबर्ग के बीच की सुबहकी गाड़ी में तो फिलहाल मुमानियत रहेगी ही।
- ↑ देखिए "पत्र : ट्रान्सवाल लीडरको", ५४ ३३५-६।