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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 5.pdf/४१

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१३.पत्र:पारसी कावसजीको

[जोहानिसवर्ग]

जुलाई ८, १९०५

रा० रा०' पारसी कावसजी,

आपका पत्र मिला । मुझे दुःख है कि आपको मुझसे पैसेकी मदद मिले, ऐसी मेरी स्थिति नहीं है।

मो० क० गांधी

श्री पारसी कावसजी
११५ फील्ड स्ट्रीट
डर्बन

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें गुजरातीसे; पत्र-पुस्तिका (१९०५), संख्या ५८४

१४.पत्र:जे० डी विलियर्सको

[जोहानिसबर्ग]

जुलाई १२, १९०५

सेवामें
श्री जे० डी विलियर्स
१८ एजिस बिल्डिग्ज़
जोहानिसबर्ग
प्रिय महोदय,

विषय : इस्माइल और ल्यूकस

इस आशासे कि मैं किसी समय स्वयं आपसे मिलकर बिलकी रकममें कमी करा सकूँगा, मैंने अभीतक जानबूझकर आपको चैक भेजने में देर की है। किन्तु अत्यधिक कामके दबावसे मैं अभीतक दफ्तर छोड़कर निकल नहीं पाया हूँ। सैयद इस्माइलके पास जो कुछ भी सम्पत्ति थी वह इस दावेकी ही थी। इसलिए १,३०० पौंडका नुकसान और मुकदमेके खर्चकी अदायगी उसके लिए बहुत बड़ा घाटा है। इसलिए मैं आपसे अपने हिसाबमें खासी कमी करनेकी प्रार्थना करना चाहता हूँ। मैंने श्री ल्यूनार्डसे भी प्रार्थना की थी और उन्होंने कमी करनेकी उदारता दिखाई है।

मैं इसके साथ आपका बिल भेज रहा हूँ।

आपका विश्वासपात्र,

मो० क० गांधी

संग्लन:२
[अंग्रेजीसे]

पत्र-पुस्तिका(१९०५),संख्या ६३०

१. राज्यमान्य राजेश्री श्रीमान्।

२. यह उपलब्ध नहीं है।