१६.पत्र: जालभाई व सोराबजी ब्रदर्सको
[जोहानिसबर्ग]
जुलाई १३, १९०५
छापाखानेकी मदमें मेरे नामे जो हिसाव है, उसका उतारा आप मुझे भेजना भूल गये हैं। मेहरबानी करके उसे अपने सुभीतेसे मेरे पास भेज दें। मैं उम्मीद करता हूँ कि प्रेससे ताल्लुक रखनेवाला जो काम दिया जाता है, उसे आप मुस्तैदीके साथ करनेकी मेहरबानी करेंगे, क्योंकि फीनिक्समें अभीतक सब बातोंकी ठीक व्यवस्था नहीं हो पाई है।
आपका सच्चा,
मो० क. गांधी
आपका ११ तारीखका पत्र मिला। मुझे खुशी है कि श्री लॉटनसे' आपको उधारी मिल गई है। मैं उसे वापस भेज रहा हूँ। आपने छगनलालको १०० पौंड दिये, इसके लिए धन्यवाद । श्री रुस्तमजीको आपने ८० पौंडका ड्राफ्ट भेजा, यह जाना।
पत्र-पुस्तिका (१९०५), संख्या ६३३
१. एफ० ए० लॉटन, जोहानिसबर्गके एक प्रमुख वकील । देखिए खण्ड १, पृष्ठ ३९६ ।
२. पारसी रुस्तमजी, भारतीय व्यापारी और गांधीजीके सहकार्यकर्ता । देखिए खण्ड १, पृष्ठ ३९५ ।